Durga Puja: बिहार के इस देवी मंदिर में लगती है देवताओं की कचहरी, विदेशों से भी आते हैं भक्त
Durga Puja: बगहा का शक्ति पीठ दरबार माई स्थान में देवता भी हाजिरी लगाते हैं. यहां लगता है देवताओं का दरबार, पूजा-अर्चना के लिए शारदीय नवरात्र में सजता है मां का दरबार, नवरात्र में दर्शन के लिए विशेष रूप से बिहार, यूपी और नेपाल से पहुंचते हैं श्रद्धालु
By Anand Shekhar | October 5, 2024 5:29 PM
Durga Puja: बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में बगहा शहर का एकमात्र शक्ति पीठ कोट माई स्थान (जो पिंडी के रूप में है) है. यहां हर रात मां का दरबार सजता है और देवी-देवता हर दिन दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं और सबकी फरियाद सुनी जाती है. इस बात की गवाही यहां के बुजुर्ग और आस-पास के निवासी खुद देते हैं. शारदीय नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमें हर दिन बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, कुछ अपनी मनोकामना लेकर तो कुछ अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद मां का दर्शन करने और प्रसाद चढ़ाने आते हैं.
नवरात्रि में होता है विशेष पूजा का आयोजन
नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन यहां मुख्य पुजारी की देखरेख में मां दुर्गा की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त अपने दिल से कोई मुराद लेकर आता है, उसकी मुराद पूरी होती है. जिसके चलते बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल जैसे दूसरे देशों से भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना के साथ दर्शन के लिए आते हैं.
शक्ति पीठ पहले वीरान स्थान में था, बंजारे करते थे पूजा
बता दें कि शक्ति पीठ एक खुले स्थान में है जहां मां की मूर्ति दो विशाल पतजुग वृक्षों के बीच स्थापित है और यह स्थान बहुत ही मनोरम है. स्थानीय 70 वर्षीय जटा शंकर यादव, ओमकेश्वर दीक्षित, कमल किशोर पाठक बताते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है तब से मां को विशाल पतजुग वृक्षों के बीच मिट्टी से बनी मूर्ति के रूप में देखा है. पहले यह स्थान झाड़ियों के बीच था लेकिन जैसे-जैसे नगर परिषद का विकास और विस्तार हुआ इस मंदिर के स्थान को साफ-सुथरा कर दिया गया और आज भी मां की मूर्ति उन्हीं पतजुग वृक्षों के बीच बाउंड्री के बीच पक्के चबूतरे पर विराजमान है. लेकिन मिट्टी से बनी उस मूर्ति को पीतल के गोल आवरण से ढक दिया गया है.
200 साल पुराना है पेड़
यह कहना मुश्किल है कि यह पतजुग वृक्ष कितना पुराना है. पूर्वजों की मानें तो यह स्थान और वृक्ष कम से कम दो सौ साल पुराना है. इसी पतजुग के बीजों से दुर्गा जी की सिद्ध माला भी बनाई जाती है. पूर्वजों के अनुसार पहले यह बंजारों का पूजा स्थल था. जब बंजारे चले गए तो यहां के लोगों ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी. अब यह सिद्ध स्थल बन गया है. स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से भी लोग यहां अपनी मनोकामना पूरी करने और दर्शन के लिए आते हैं.
रात में देवताओं की लगती है कचहरी
स्थानीय लोगों ने बताया कि हम अपने पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि यहां रात में देवताओं का दरबार लगता है. कई पूर्वजों ने भी इसका अनुभव किया है. मान्यता के अनुसार इस स्थान से कुछ दूरी पर मां काली का मंदिर स्थित है. वे हर रात यहां मिलने आती हैं. इन लोगों ने बताया कि पूर्वजों से सुना है कि कभी-कभी रात में सफेद वस्त्र पहने एक अद्भुत सुगंध वाली महिला हाथ में खप्पड़ जैसी कोई चीज पकड़े दरबार माई स्थान की ओर आती दिखाई देती है.
नवरात्रि में अष्टमी की रात्रि में की जाने वाली निशा पूजा एक विशेष पूजा है, जिसे देखने और भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हर साल स्थानीय लोगों की मदद से इस शारदीय नवरात्रि पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है.
इस वीडियो को भी देखें: बिहार की राजनीति में चूहे की एंट्री
यहां बेतिया न्यूज़ (Bettiah News) , बेतिया हिंदी समाचार (Bettiah News in Hindi), ताज़ा बेतिया समाचार (Latest Bettiah Samachar), बेतिया पॉलिटिक्स न्यूज़ (Bettiah Politics News), बेतिया एजुकेशन न्यूज़ (Bettiah Education News), बेतिया मौसम न्यूज़ (Bettiah Weather News) और बेतिया क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .