बेतिया. महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय में संत कबीर जयंती के सुवसर पर बुधवार को संगोष्ठी आयोजित की गई. जानकी उद्यान में संपन्न कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. (डॉ) रवींद्र कुमार चौधरी ने की.उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि महात्मा कबीर एक दार्शनिक संत, दूरदर्शी विचारक और समाज सुधारक थे. जिन्होनें अपने समकालीन लोक जीवन में अंधविश्वास से त्रस्त समाज को जगाने का कार्य किया. उन्होंने कहा कि संत कबीर ने हमेशा अंधविश्वास और जाति व्यवस्था का विरोध किया. समतामूलक समाज के निर्माण के लिए प्रयासरत रहे. संत कबीर के साहित्य के रूप में उपलब्ध उनके मत और सिद्धांत समाज के युवा वर्ग को एक आदर्शवादी, आध्यात्मिक और रचनात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. राजेश कुमार चंदेल ने कहा कि कबीर मध्यकालीन हिन्दी साहित्य में निर्गुण काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि हैं. निरक्षर होने के बावजूद संत कबीर ने अपनी दोहा और उपदेश के माध्यम से बताया कि हमारे सभी समस्याओं की जड़ हमारी संकीर्ण मानसिकता और हमारी कुरीतियां हैं. ईश्वर की नजर में कोई बड़ा-छोटा नहीं है. हम धर्म को बाहर से धारण किए हुए हैं और उसी को प्रतिष्ठित करने के प्रयास में लगे रहते हैं यही हमारी समस्या का कारण है.उनका जन्म एक हिन्दू समाज में हुआ था और पालन-पोषण मुस्लिम समुदाय में यही कारण है कि उनके भीतर भारत के सामाजिक संस्कृति की गहरी समझ थी. कार्यक्रम के संचालक रहे योगाचार्य पवन कुमार चौधरी ने कहा कि संत कबीर के विचारधारा और उपदेश हमें वर्तमान समय में भी प्रेरित करते हैं. व्यक्ति की ऊंचाई उसके कर्मों से तय होती है, न कि उसके जन्म से. संत कबीर की शिक्षा हमें एक बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है.कार्यक्रम में स्तुति कुमारी, वंदना कुमारी, कृति कुमारी, दिव्या कुमारी, मानसी रानी, दिवाकर कुमार, अखिलेश कुमार, अविनाश कुमार, रजनीश कुमार, जितेश कुमार, राहुल कुमार, किशन, रिशु, बिगू, अजीत, सिंपल, अंजलि इत्यादि ने संत कबीर के शिक्षाओं पर अपनी अपनी बात रखी.
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