बक्सर. सावन की तीसरी सोमवारी को शहर समेत जिले भर के सभी शिवालय हर-हर महादेव के जयघोष से गुंजायमान हो गए. इस पावन अवसर पर शिव भक्त मंदिरों में गये और श्रद्धा के साथ देवाधिदेव महादेव का दर्शन व पूजन-अर्चन किये. श्रद्धालु भक्ति भाव से पूजन-अर्चन के बीच उनके दरबार में मत्था टेके और अपने आराध्य से कृपा की कामनाओं के साथ परिवार में सुख, समृद्धि व शांति का वरदान मांगें. पूजन-अर्चन को लेकर सुबह से ही श्रद्धालु शिवालयों में पहुंचने लगे थे. भक्त सोमवार को तड़के जल्दी में विस्तर छोड़ने के बाद नित्य क्रिया से निबटे और गंगा घाटों पर जाकर डुबकी लगाए. स्नान के बाद पात्र में गंगा जल ग्रहण किये और मंदिरों में जाकर मंत्रोच्चार के बीच वैदिक विधि-विधान से भगवान शिव पर जलाभिषेक किए और विधि विधान के साथ चंदन, अक्षत, पुष्प, बिल्वपत्र, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पित किये. कतारबद्ध हो करना पड़ रहा था अपनी बारी का इंतजार : शिव मंदिरों में शिवभक्तों का रेला सुबह से ही लग गया था. लंबी-लंबी कतारों में लगकर भक्त भोलेनाथ के दर्शन-पूजन करने लगे थे. इसके अलावा रुद्राभिषेक समेत अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी कर रहे थे. जैसे-जैसे दिन चढ़ रहा था, मंदिरों में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ती जा रही थी. इसके कारण कतारबद्ध श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश व बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा था. सबसे ज्यादा भीड़ का गवाह बना श्रीरामेश्वर नाथ मंदिर : वैसे तो शहर के दर्जन भर से अधिक शिव मंदिरों में सूर्योदय से पूर्व ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गयी थी, परंतु त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के हाथों नगर के रामरेखाघाट पर स्थापित श्री रामेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की तादाद ज्यादा थी. वहां भक्तों के आने-जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था. नतीजा यह था कि गर्भ गृह में पूजन-अर्चन के लिए भक्तों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा था. वहीं पौराणिक महत्व वाले गंगा व ठोरा के संगम पर स्थापित बाबा संगमेश्वर नाथ, सोमेश्वर स्थान स्थित बाबा सोमेश्वर नाथ, चरित्रवन स्थित चैत्ररथ शिव, पंचमुखी शिव, आदिनाथ आखाड़ा अंतर्गत श्री नाथ मंदिर, सिविल लाइंस स्थित सिद्धानाथ मंदिर, सोहनीपट्टी स्थित अर्द्ध नारिश्वर श्री गौरीशंकर मंदिर एवं बाजार समिति रोड स्थित श्री पतालेश्वर नाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं के तांता लगे रहे. सोखा धाम में दिनभर लगी रही भीड़ : इटाढ़ी प्रखंड के कवड़ेसर स्थित सोखा धाम में सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा. वहां बाबा वीरभद्र की आराधना के लिए आस-पड़ोस के श्रद्धालुओं के अलावा अन्य प्रदेशों से भी भक्त पहुंचे थे. वहां द बक्सर से गंगा जल के साथ कांवरिया सूर्योदय से पहले ही पहुंचने लगे थे. मंदिर के पास अस्थायी दुकानें भी लगायी गयी थीं. जिससे मेला का नजारा दिख रहा था. पुष्प व पूजा-पाठ के सामानों के साथ ही चाय-नाश्ता की दुकानें सजीं थीं. सुरक्षा को लेकर तैनात थी पुलिस : सोमवारी के अवसर पर मंदिरों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की तैनाती की गयी थी. मंदिरों के आसपास भी पुलिस बल के जवान तैनात थे. इसके अलावा शहर के यातायात को सुगम रखने के लिए चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस ड्यूटी बजा रही थी. रविवार की शाम से ही ज्योति प्रकाश चौक समेत अन्य मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस को तैनात कर दिया गया था. जिनके द्वारा श्रावणी को लेकर निर्धारित रूट से ही वाहनों के परिचालन पर जोर दिया जा रहा था, ताकि शहर में भीड़ बढ़ने से विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं हो सके. भगवान शिव को प्रिय है सावन मास : सावन का महीना भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है. सो श्रावण मास में प्रतिदिन शिव भक्त अपने आराध्य की विशेष आराधना करते हैं. सावन के सोमवार के विशेष महत्व के चलते लोग मंदिरों में जाना अपना सौभाग्य समझते हैं. क्योंकि श्रावण मास के सोमवार को पूजा करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा मिलती है. जिस से जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है. शाम को हुई महा आरती : शाम को मंदिरों में बाबा भोले नाथ की श्रृंगार किया गया. पुष्प व पत्तियों से बाबा के स्वरूप को सजाया-संवार गया. इसके बाद महाआरती की गयी. कपूर, गुग्गुल व घी की बत्तियों से सस्वर गायन के बीच आरती की गयी. शंख, घंटे-घड़ियाल व नगाड़े की ध्वनि के बीच की गयी आरती से माहौल भक्तिमय हो गया था. इस अलौकिक क्षण का गवाह बनने के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखते ही बन रही थी. आरती के बाद प्रसाद ग्रहण कर देर रात श्रद्धालु घर विदा हुए. वहीं कतिपय मंदिरों में देर रात तक चले भजन-कीर्तन का आनंद भी उठाते रहे.
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