एक ही घर, दो राज्य
गांव की सबसे अनोखी बात यह है कि कई घर ऐसे हैं, जो आधे बिहार में और आधे उत्तर प्रदेश में स्थित हैं. किसी का मुख्य द्वार यूपी में खुलता है, तो पीछे का दरवाजा बिहार में. गांव की गलियां भी दोनों राज्यों के बीच की सीमा रेखा का काम करती हैं.
एक गली में अपराध, दूसरी में आज़ादी
गांव में एक गली पार करते ही कानून बदल जाता है. बिहार वाले हिस्से में शराब पीना अपराध है, लेकिन यूपी की तरफ बस एक कदम बढ़ाते ही शराब खरीदने और पीने की आजादी मिल जाती है. ग्रामीणों के अनुसार, बिहार पुलिस शराबबंदी के नियमों का पालन करवाने के लिए कड़ी नजर रखती है, लेकिन यूपी की सीमा में पुलिस इस मामले में दखल नहीं देती.
दो राज्यों की बिजली और प्रशासनिक उलझनें
गांव में बिजली भी दो राज्यों से आती है. आधे गांव को बिहार से बिजली मिलती है, तो आधे को यूपी से. यही नहीं, किसी कानूनी विवाद की स्थिति में ग्रामीणों को यह तय करने में मुश्किल होती है कि मामला बिहार के थाने में दर्ज करवाएं या यूपी के थाने में. जमीन विवाद भी अक्सर दो राज्यों के अलग-अलग कानूनों की वजह से उलझ जाते हैं.
गांव के लोग किसे मानें अपना प्रशासन?
जवही गांव के लोग इस अनोखी प्रशासनिक स्थिति से जूझते रहते हैं. कई बार सरकारी योजनाओं और सुविधाओं में भी भेदभाव महसूस किया जाता है. एक ही गांव में दो राज्यों के नियम लागू होने से शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सेवाओं को लेकर भी ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्या है सरकार का रुख?
स्थानीय प्रशासन को इस समस्या की जानकारी है, लेकिन अब तक गांव को लेकर कोई ठोस समाधान नहीं निकला है. ग्रामीणों का कहना है कि वे अक्सर दो राज्यों के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाने को मजबूर होते हैं. जवही गांव की यह अनोखी स्थिति इसे न केवल बिहार और यूपी में बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनाती है.
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