
गया. डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि मरीज को वक्त पर पौष्टिक भोजन और दवा दी जाये, तभी इलाज का असर सही तरीके से होगा़ लेकिन गया के सबसे बड़े अस्पताल एएनएमएमसीएच में मरीजों के खाने को लेकर भारी लापरवाही सामने आयी है. अस्पताल में मरीजों को सुबह का नाश्ता तय समय आठ बजे के बजाय 10 बजे के बाद मिलता है. मरीजों को बेड पर नाश्ता पहुंचाने की बजाय लाइन में खड़ा कर दिया जाता है. हालत यह है कि कई बार मरीज खुद उठकर खाना लेने की स्थिति में नहीं होते, फिर भी उन्हें लाइन में लगना पड़ता है. मरीजों और उनके परिजनों का आरोप है कि जो खाना मिलता भी है, वह स्वादहीन और पौष्टिकता से दूर होता है. तय मापदंड के अनुसार सुबह में छह पीस ब्रेड, एक अंडा, 200 एमएल दूध और मौसमी फल दिया जाना चाहिए, लेकिन कई बार ब्रेड या फल गायब रहते हैं. दोपहर के खाने में भी गड़बड़ी कम नहीं है, कभी दही गायब, कभी दाल. रात के खाने में चार रोटियों के साथ दाल और सब्जी मिलनी चाहिए, पर मरीजों का कहना है कि अक्सर दाल दी ही नहीं जाती. शाम की चाय और बिस्कुट भी कागजों पर ही रह जाते हैं. बिना जांचे ही कर दिया जाता है हस्ताक्षर मरीजों को कितना खाना मिला, इसकी जांच कर दस्तखत वार्ड इंचार्ज को करनी होती है. मगर मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि वार्ड की नर्सिंग स्टाफ बिना ठीक से जांचे ही लिस्ट पर दस्तखत कर देती हैं. जब मरीज कम खाने या देर से मिलने की शिकायत करते हैं, तो जवाब मिलता है हम क्या कर सकते हैं? प्रशासन की चेतावनी भी बेअसर अस्पताल सूत्र बताते हैं कि मरीजों को खाना उपलब्ध कराने वाली एजेंसी को कई बार अस्पताल प्रशासन ने चेतावनी दी है और विभाग के वरीय अधिकारियों को भी जानकारी दी गयी है. बावजूद इसके हालात में कोई खास सुधार नहीं हो रहा है. क्या कहते हैं उपाधीक्षक मरीज को खाना कम मिलने व ब्रेड नहीं देने की शिकायत उनके पास किसी कर्मचारी ने नहीं की है. ऐसे भी हर दिन कुछ न कुछ शिकायत संबंधित एजेंसी की मिलते रहती है. सारी चीजों को जांच करायी जायेगी. डॉ विपुल कुमार, उपाधीक्षक, एएनएमएमसीएच
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