गोपालगंज. शहर के राजेंद्र बस स्टैंड की अरबों की जमीन पर फर्जी तरीके से जमाबंदी करने के मामले में फंसे निलंबित अंचलाधिकारी (सीओ) गुलाम सरवर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने उनके अरेस्ट पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अंगेस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने गुलाम सरवर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. साथ ही सीओ गुलाम सरवर को कांड के अनुसंधान में सहयोग करने का निर्देश भी दिया गया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत के मुद्दे पर अगली तिथि पर सुनवाई होगी. बिहार सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल को छह सप्ताह के भीतर केस की कॉपी और नोटिस देने का निर्देश दिया गया है. ज्ञात हो कि नौ जुलाई को पटना हाइकोर्ट की न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा की एकल पीठ ने सीओ गुलाम सरवर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद सीओ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी. राजेंद्र बस स्टैंड की कीमती जमीन की फर्जी जमाबंदी का खुलासा सबसे पहले प्रभात खबर ने किया था. समाचार प्रकाशन के बाद जिलाधिकारी ने एडीएम आशीष कुमार सिन्हा और एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार से जांच करायी. जांच में मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि हुई. इसके आधार पर डीएम के निर्देश पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे ने नगर थाना में एफआइआर दर्ज करायी. नगर थाना कांड संख्या 673/24 में सीओ गुलाम सरवर, राजस्व कर्मचारी, सीआइ और भू-माफिया सासामुसा के चंद्रमा दुबे के पुत्र अजय दुबे को आरोपित बनाया गया है. फर्जीवाड़ा खतियान एवं पंजी-2 के आधार पर दाखिल-खारिज केस नंबर 360/1980-81 के तहत किया गया था. निलंबित सीओ गुलाम सरवर ने दो सितंबर, 2024 को सुबह 10:44 बजे पुराने जमाबंदी नंबर 192 और 195 से घटाकर अजय दुबे के नाम पर जमाबंदी परिमार्जन कर दिया. इसके बाद तीन सितंबर को वर्ष 1985 से 2025 तक की रेंट रसीद भी जारी कर दी गयी थी. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है और अगली सुनवाई में जमानत पर अंतिम निर्णय लिया जायेगा.
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