गोविंद/ गोपालगंज. Love. मंजू देवी मूल रूप से बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के दिघवा-दुबौली गांव की रहने वाली थीं. उन्होंने परिवार और समाज के खिलाफ जाकर मनु सिंह से प्यार किया फिर प्रेम विवाह किया था. शादी के बाद दोनों की एक बेटी भी हुई. मगर समय के साथ मनु सिंह का दिल बदल गया और ट्रक ड्राइविंग के दौरान उसकी जिंदगी में दूसरी महिला आ गयी. मनु सिंह ने दूसरी शादी कर ली, जिससे मंजू देवी को गहरा सदमा लगा.
पति के धोखे ने तबाह कर दिया मंजू की जिंदगी
पति के धोखे ने मंजू की जिंदगी को पूरी तरह तबाह कर दिया. अकेलापन और दर्द से जूझती मंजू ने नशे की आदतें पाल लीं. वह ड्रग्स, स्मैक और गांजा की लत में बुरी तरह फंस गयीं. कभी अस्पतालों में, तो कभी चौक-चौराहों पर वह लावारिस हालत में देखी जाती थीं. समाज ने भी उन्हें मानसिक रोगी मानकर छोड़ दिया. उधर, उनकी बेटी शिवानी ने भी मां की हालत और पिता की करतूतों से दुखी होकर दूसरे समुदाय के युवक से तुरकहां में लव मैरिज कर ली और अब वह शिवानी खातून के नाम से जानी जाती है.
बिजली करंट लगने से मौत की आशंका
पुलिस को आशंका है कि मंजू देवी की मौत बिजली करंट लगने से हुई है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्थिति स्पष्ट होगी. नगर इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार प्रभाकर ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के बाद मंजू के भाई धर्मेंद्र महतो और मायके वालों को सौंप दिया जाएगा ताकि उनका सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया जा सके. यह घटना न केवल एक महिला की बर्बादी की कहानी है, बल्कि समाज के उस बेरुखी को भी उजागर करती है, जो पीड़ित को सहारा देने के बजाय उसे ठुकरा देता है.
प्यार में मिला दर्द, रिश्तों में टूटी उम्मीद
मंजू देवी ने समाज और परिवार की परवाह किए बिना मनु सिंह से प्रेम विवाह किया था. प्यार में डूबी मंजू को शादी के बाद वह सुख नहीं मिला जिसकी उसने कल्पना की थी. विवाह के कुछ समय बाद ही हालात बिगड़ने लगे. पति की बेवफाई और दूसरी शादी ने उसके जीवन को पूरी तरह बदल दिया. मायके और ससुराल-दोनों जगहों से उसे सहारे की उम्मीद थी, लेकिन हर रिश्ता धीरे-धीरे दूर होता गया. बेघर होने के बाद मंजू देवी लावारिस हालत में सड़कों के किनारे जिंदगी गुजारने लगीं. भीख मांगकर किसी तरह पेट भरती थीं और नशे की लत ने उन्हें पूरी तरह जकड़ लिया था. करीब चार वर्षों तक उन्होंने इसी हाल में संघर्ष किया. अंततः रविवार को यह संघर्ष समाप्त हो गया और मंजू की जिंदगी की दर्दभरी कहानी हमेशा के लिए खत्म हो गयी.
नशे की गिरफ्त में मंजू ने गंवायी जान
आज समाज में स्मैक, गांजा और ड्रग्स जैसी नशे की लत कितनी खतरनाक हो चुकी है, यह बात युवा पीढ़ी को सबसे पहले समझने की जरूरत है. इसका ताजा उदाहरण है 38 वर्षीय मंजू देवी की दुखद कहानी. पारिवारिक टूटन और सामाजिक उपेक्षा ने उन्हें धीरे-धीरे नशे की दलदल में धकेल दिया. हालात ऐसे हो गए थे कि वह दिनभर लोगों से भीख मांगती थीं और शाम होते ही उस पैसे से नशे का सामान खरीदकर बेसुध हो जाया करती थीं. चौंकाने वाली बात यह है कि शहर में नशे का यह कारोबार खुलेआम चल रहा है, लेकिन पुलिस अब तक इस पर लगाम कसने में नाकाम रही है. नशे का यह जाल न केवल कमजोर हालात में जी रहे लोगों को निगल रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के भविष्य को भी अंधेरे में धकेल रहा है.
गुमनामी में खत्म हुई मंजू की कहानी
दिघवा-दुबौली से सदर अस्पताल में मंजू देवी के शव का पोस्टमार्टम कराने पहुंचे परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि मंजू देवी बचपन से ही पढ़ाई, खेलकूद और घरेलू कामकाज में काफी रुचि रखती थीं. वह होनहार और जिम्मेदार लड़की थीं. लेकिन कम उम्र में ही प्रेम के चक्कर में पड़कर उन्होंने लव मैरिज कर ली. शादी के कुछ साल बाद उनकी एक बेटी भी हुई. हालांकि, पति ने विश्वास तोड़ते हुए दूसरी शादी कर ली. इसी के बाद से मंजू देवी की जिंदगी गुमनामी और अकेलेपन में ढलती चली गयी. सामाजिक तिरस्कार और मानसिक पीड़ा ने उन्हें तोड़ दिया. धीरे-धीरे वे नशे की गिरफ्त में आ गईं और लावारिस सी जिंदगी जीने लगीं. रविवार को उनकी दुखद कहानी का अंत हो गया.
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