गोपालगंज. मतदाता सूची के पुनरीक्षण को साजिश बताकर उसके खिलाफ महागठबंधन के चक्का जाम आंदोलन में सड़कों पर कार्यकर्ता सैकड़ों बुधवार को उतर आये. शहर में कार्यकर्ताओं के चक्का जाम व बंद का मिला-जुला असर दिखा. दोपहर तक विपक्ष के कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग टुकड़े में बट कर शहर से लेकर हाइवे तक जाम किया. इस दौरान प्रशासन की ओर से पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम किया गया था. दोपहर तक जिले में लगभग आठ सौ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद से जनजीवन सामान्य हो गया. मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के नाम पर पिछड़े और गरीब तबके के मतदाताओं का नाम काटने का आरोप लगाकर महागठबंधन ने बुधवार को गोपालगंज बंद कर चक्का जाम किया. इस दौरान महागठबंधन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मोटरसाइकिल रैली निकाल कर केंद्र एवं राज्य सरकार तथा चुनाव आयोग के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. बंद के दौरान सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी काफी कम दिखी. सुबह से ही महागठबंधन के कार्यकर्ता पूर्व विधायक रेयाजुल हक राजू, राजद जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह, वीआइपी जिलाध्यक्ष रमेश साहनी, राजद के प्रधान महासचिव इम्तेयाज अली भुट्टो, सीपीआइ एवं सीपीएम के जिला सचिवों के नेतृत्व में सड़कों पर उतर आये और दुकानों को बंद कराने की अपील करते नजर आये. महागठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा और जदयू के इशारे पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि भाजपा-जदयू गठबंधन बिहार में अपनी संभावित हार से घबरा गया है और चुनाव आयोग की मदद से गरीब और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाकर चुनाव को प्रभावित करना चाहता है. नेताओं ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसके समय और प्रक्रिया को लेकर उन्हें गंभीर संदेह है, जिन्हें चुनाव आयोग अब तक दूर नहीं कर पाया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब 2003 में लगभग 5 करोड़ मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण करने में दो साल लग गये थे, तो अब आठ करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण महज एक महीने में कैसे संभव है? महागठबंधन ने एलान किया कि वे चुनाव आयोग के इस अभियान के विरोध में सड़क से लेकर सदन तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे.
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