पंचदेवरी. जिले के कुचायकोट प्रखंड के भोजछापर रामजीता में जिस शैव संत के समाधि स्थल पर शिवलिंग स्थापित है, वे बाबा कर्तानाथ के नाम से प्रसिद्ध थे. यह धाम बाबा कर्तानाथ रामेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. तत्कालीन समय में बाबा कर्तानाथ के अलावा एक और संत थे, जो अपनी साधना व शक्तियों के कारण विख्यात थे. उनका नाम तपस्वी बाबा था. वे शक्ति के उपासक थे. ग्रामीण बताते हैं कि वे सीमावर्ती राज्य यूपी के धमौली के रहने वाले थे. बाबा कर्तानाथ से भक्तों ने उनकी सिद्धियों की कहानी सुनी थी. लूटपाट करने की नीयत से जब बंगाली आक्रांता मकबूल हसन नारायणी के तट पर पहुंच कर कैंप डाल दिया, तो बाबा कर्तानाथ ने कहा कि तपस्वी बाबा ही इस संकट काल में संकट मोचन बन सकते हैं. हुस्सेपुर के तत्कालीन शाही शासक व क्षेत्र के लोगों के आग्रह पर तपस्वी बाबा ने शक्ति की आराधना की और युद्ध में क्षेत्र के लोगों को विजय प्राप्त हुई. ग्रामीण बताते हैं कि एक बार तपस्वी बाबा नारायणी नदी के किनारे ध्यान में लीन थे. उसी समय एक व्यक्ति वहां पहुंचा. उसे नदी के उस पार जाना था. वह काफी परेशान लग रहा था. नाव नदी में काफी दूर थी. तपस्वी बाबा उसकी परेशानी को समझ गये. उन्होंने नदी में कुश की चटाई फेंकी और चटाई पर उस व्यक्ति को अपने साथ लेकर बीच नदी में नाव तक पहुंचा दिया. फिर चटाई पर ही सवार होकर बाबा वापस लौट आये. कुछ बुजुर्ग लोग इस घटना को अन्य कई संतों से जोड़कर भी बताते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के लोग तपस्वी बाबा की ही इस कहानी को सत्य मानते हैं. लोग अपने पूर्वजों से तपस्वी बाबा की सिद्धियों के बारे में सुनते आये हैं. इस तरह की कई अन्य चामत्कारिक घटनाएं भी उनके जीवन से जुड़ी हुई हैं. बाबा कर्तानाथ व तपस्वी बाबा जैसे संतों के जीवन काल से भोजछापर रमजीता मंदिर के इतिहास के जुड़े होने के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. इन दिनों प्रतिदिन भक्त जलाभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं.
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