hajipur news. झमाझम बारिश से उमस भरी गर्मी से मिली राहत, लेकिन जलजमाव ने बढ़ायी परेशानी

शहर के हॉस्पिटल रोड, गांधी चौक-नखास चौक रोड, स्टेशन रोड, मड़ई रोड समेत अन्य जगहों पर सड़क पर जलजमाव होने से आवागमन में आयी दिक्कत

By RATNESH KUMAR SHARMA | June 29, 2025 8:06 PM
an image

हाजीपुर. पिछले दो महीनों से भीषण गर्मी का सामना कर रहे लोगों ने मौसम के मेहरबान होते ही बड़ी राहत महसूस की. रविवार को हुई बारिश नगरवासियों के लिए काफी सुकूनदायी रही, जिससे तीखी धूप और उमस भरी गर्मी से राहत मिली. वहीं, बारिश के कारण शहर के विभिन्न मार्गों पर जलजमाव हो जाने से लोगों को परेशानी भी हुई. शहर के हॉस्पिटल रोड, गांधी चौक-नखास चौक रोड, स्टेशन रोड, मड़ई रोड समेत अन्य जगहों पर सड़क पर जलजमाव होने से आवागमन में दिक्कत झेलनी पड़ी. गर्मी से अकुलाए लोग मॉनसून की बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. रविवार की सुबह से ही आसमान की रंगत बता रही थी कि ये बादल जरूर बरसेंगे. दिन में कड़ी धूप हो जाने से लोगों को लगा कि आज फिर बारिश टल गयी, लेकिन दोपहर बाद लगभग तीन बजे आसमान में घटाएं छा गयीं और आधे घंटे के अंदर झमाझम बारिश होने लगी. 3.30 बजे से शुरू हुई करीब 45 मिनट की बारिश के बाद मौसम खुशनुमा बना रहा और आकाश में बादल छाये रहे. हालांकि जिले में अब भी लोगों को जोरदार बारिश का इंतजार है.

आद्रा की बारिश ने किसानों की उम्मीद जगायी

आद्रा नक्षत्र में जिले के अलग-अलग हिस्सों में बीते तीन-चार दिनों के अंदर हुई बारिश से खरीफ उत्पादक किसानों की उम्मीदें जाग उठी हैं. मॉनसून के कई दिन बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ रही थी. रबी की फसल से निवृत होने के बाद जिले के किसान अब धान की खेती की तैयारी में हैं. किसानों की असली चिंता धान की अच्छी फसल और उत्पादन बढ़ाने को लेकर है. समय पर खाद-बीज की उपलब्धता और खेतों की सिंचाई को लेकर किसानों में संशय बना हुआ है. सरकारी घोषणाओं और कृषि विभाग के दावों की जमीनी हकीकत से वाकिफ किसान इस बार भी धान की खेती के लिए मौसम की मेहरबानी पर ही निर्भर हैं. जिले के 70 प्रतिशत से ज्यादा किसान अपनी फसल आबाद करने के लिए मॉनसून पर आश्रित हैं. सिंचाई की अन्य सुविधा उनके पास नहीं है. रोहिणी और आद्रा नक्षत्र की कृपा बरस गयी तो ठीक, वरना धान के पौधे ही नहीं, किसानों के चेहरे भी सूख जाते हैं. बीते पांच सालों में औसत से कम बारिश होने और लगातार सुखाड़ की मार से किसानों की कमर टूटी हुई है. वहीं, एक-दो साल ऐसा भी हुआ कि अत्यधिक बारिश के कारण खेतों में भारी जलजमाव हो जाने से एक चौथाई भी धान की खेती नहीं हो सकी. ऐसे में, इस बार मौसम विज्ञानियों द्वारा अच्छी बारिश का अनुमान बताये जाने से किसानों के अंदर खरीफ फसल के बेहतर होने की उम्मीदें जाग उठी हैं.

खेतों को पानी मिले, तो लहलहा उठेगी फसल

धान, पान, नित स्नान. लोक कवि घाघ की इस उक्ति से भी स्पष्ट है कि धान की खेती मूलतः पानी पर निर्भर है. जिले में सिंचाई व्यवस्था का हाल बुरा है. राजकीय नलकूप या निजी नलकूप, यही दो विकल्प हैं. राजकीय नलकूपों की हालत जगजाहिर है. चंवर, तालाब और नहरें पहले ही सूख चुकी हैं. सिंचाई के लिए निजी नलकूपों का ही सहारा है. जिले में 20 से 25 प्रतिशत ही ऐसे किसान हैं, जिनके पास निजी नलकूप के साधन हैं. निजी बोरिंग से पानी खरीद कर पटवन करना इतना महंगा हो गया है कि गरीब किसान इसका खर्च नहीं उठा पाते. भूमिगत जल स्तर के नीचे चले जाने के कारण बोरिंग से पानी भी कम निकल रहा है. खेती की तमाम दुश्वारियों के बावजूद किसान आधुनिक तकनीक और नयी किस्मों के बीज के सहारे धान की खेती की तैयारी में लगे हैं.
संबंधित खबर और खबरें

यहां हाजीपुर न्यूज़ (Hajipur News) , हाजीपुर हिंदी समाचार (Hajipur News in Hindi), ताज़ा हाजीपुर समाचार (Latest Hajipur Samachar), हाजीपुर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Hajipur Politics News), हाजीपुर एजुकेशन न्यूज़ (Hajipur Education News), हाजीपुर मौसम न्यूज़ (Hajipur Weather News) और हाजीपुर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version