हाजीपुर. चर्चित लेखक और राजनीतिक चिंतक डॉ व्रज कुमार पांडेय की पहली पुण्यतिथि पर साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों और बुद्धिजीवियों ने उन्हें श्रद्धा से याद किया. बाबू शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी की ओर से स्मृति समारोह आयोजित किया गया. सबसे पहले डॉ व्रज कुमार पांडेय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर परिचर्चा हुई. शहर के सिनेमा रोड स्थित लाइब्रेरी के सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकपा जिला सचिव अमृत गिरि ने की. वामपंथी नेता अजय कुमार ने डॉ पांडेय की वैचारिक प्रतिबद्धता, राजनीतिक सोच और जनवादी आंदोलनों में सहभागिता को रेखांकित करते हुए विषय प्रवेश कराया. युवा जदयू नेता संतोष कानन ने कहा कि वे स्वयं में राजनीति विज्ञान के अकादमी थे. जिला विधिज्ञ संघ के उपाध्यक्ष अधिवक्ता मुकेश रंजन ने कहा कि वे नहीं होते तो सैकड़ों गरीब, दलित और वंचित वर्ग के छात्र-युवा धन और मार्गदर्शन के अभाव में एमएम, पीएचडी कर अध्यापक और सृजनकर्ता नहीं बनते. शोध छात्र वीरू पासवान ने बताया कि मेरे पिता उनके घर के निकट मजदूरी करते थे. पांडेय सर ने बचपन में ही मुझे अपना लिया. शिक्षक डॉ शिवबालक राय ने उन्हें बहुविधा का ज्ञानी बताया. चिकित्सक और कवि डॉ नंदेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि वे प्रगतिशील विचारों तथा मूल्यों के लिए जीवन के आखिरी समय लड़ने वाले योद्धा थे. वरिष्ठ रंगकर्मी एवं प्रगतिशील लेखक संघ के जिला सचिव क्षितिज प्रकाश ने कहा कि देश स्तर पर डॉ पांडेय की कद्र थी. मौके पर रामानंद गुप्ता, डॉ महेंद्र प्रियदर्शी, शोधछात्र वीरभूषण, कर्नल कुमार, अमर यादव, विवेक कुमार आदि ने भी विचार रखे. अध्यक्षीय संबोधन में अमृत गिरि ने कहा कि डॉ वीके पांडेय वामपंथी विचारक थे, लेकिन मार्गदर्शन अन्य पार्टियों के नेता-कार्यकर्ता का भी करते थे. लाइब्रेरी के प्रबंध निदेशक राजेश पराशर ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
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