नहीं रहे गोविंद चौधरी, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई

राजनीति के अजातशत्रु, पूर्व मुखिया, पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष व वर्तमान में चकाई जिला परिषद भाग संख्या 3 के पार्षद गोविंद चौधरी के शव का सोमवार की दोपहर को अजय नदी के सती घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.

By PANKAJ KUMAR SINGH | June 23, 2025 9:56 PM
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चकाई-चंद्रमंडी. राजनीति के अजातशत्रु, पूर्व मुखिया, पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष व वर्तमान में चकाई जिला परिषद भाग संख्या 3 के पार्षद गोविंद चौधरी के शव का सोमवार की दोपहर को अजय नदी के सती घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. रविवार की रात्रि में चकाई बाजार स्थित आवास पर उनका निधन हो गया था. वे बीते कुछ माह से बीमार चल रहे थे. वहीं पिछले एक माह से वे चिकित्सकों की गहन निगरानी में थे. सेहत में गिरावट के कारण उनके चाहने वाले लगातार सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से उनके स्वस्थ होने की कामना ईश्वर से कर रहे थे. रविवार की रात्रि 8 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली. वहीं उनके निधन की खबर मिलते ही न केवल चकाई अपितु पूरे जमुई में शोक की लहर है. सौम्य, व्यवहार कुशल, ईमानदार छवि व विकास के प्रति दृढ़ निश्चय के बल पर लोगों के दिलों पर लंबे समय तक राज करने वाले गोविंद बाबू के निधन की खबर मिलते ही उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा. वहीं निधन के बाद देर रात में ही उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव गजही पंचायत के दलनीडीह ले जाया गया. वे पिछले दो पंचायत चुनावों में जिला परिषद सदस्य के पद पर विजय प्राप्त कर जनता की सेवा कर रहे थे. इससे पूर्व वे मुखिया, व्यापार मंडल के अध्यक्ष के पद को भी सुशोभित कर चुके थे. उनकी धर्मपत्नी बसंती देवी भी दो बार गजही पंचायत की मुखिया रह चुकी हैं. वे अपने पीछे पत्नी बसंती देवी, पुत्र पिंटू चौधरी, पुत्रवधू अनीता देवी सहित नाती-पोतों से भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं.

अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग

चंद्रमंडीह. जिला पार्षद गोविंद चौधरी की शव यात्रा में बड़ी संख्या में विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े नेता, बुद्धिजीवी व समाजसेवा से जुड़े लोग शामिल हुए. निधन की खबर मिलने के बाद रविवार रात्रि से ही लोग उनके आवास पर पहुंचने लगे थे. निधन के कुछ घंटे के बाद ही उनका शव पैतृक गांव दलनीडीह ले जाया गया. शव के गांव पहुंचते ही पंचायतवासी अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े. इधर सुबह करीब नौ बजे शव यात्रा की शुरुआत हुई. शव यात्रा दलनीडीह स्थित आवास से शुरू होकर पाटजोरी गांव के समीप अजय नदी के तट पर स्थित सती घाट पहुंचा. इस बीच जगह-जगह लोगों ने शव वाहन को रोककर अश्रुपूरित नयनों से अपने चहेते नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की. शव यात्रा में मंत्री सुमित कुमार सिंह, पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद, जिला परिषद अध्यक्ष दुलारी देवी, बीडीओ कृष्ण कुमार सिंह, विधायक प्रतिनिधि राजीव रंजन पांडेय, पूर्व प्रमुख सतेंद्र राय, जिला पार्षद सालोमी मुर्मू, गुड्डू यादव, रंजीत राय, प्रहलाद रावत, महेंद्र प्रसाद सिंह, विजय शंकर यादव, मिथिलेश राय, शिवपूजन सहाय, अमित तिवारी, नकुल यादव, रामेश्वर यादव, केदार यादव, दिनेश यादव, अजय सिंह, दिलीप उपाध्याय, धर्मेन्द्र सिन्हा, प्राचार्य डॉ रविशंकर यादव, सत्यनारायण राय, शंभू पांडेय सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे.

सबों के साथ खड़े रहते थे मुखिया जी

चंद्रमंडीह. सरलता की प्रतिमूर्ति गोविंद चौधरी अपने इलाके में मुखियाजी के नाम से चर्चित थे. उनके निधन की खबर से लोग काफी मर्माहत हैं. लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनके चहेते हमेशा के लिए उन्हें छोड़कर चिरनिंद्रा में चले गए हैं. भारी मन से लोगों ने बताया कि वे हमेशा लोगों के सुख-दुःख में साथ खड़े रहते थे. उन्हें अगर सूचना मिल जाती थी कि उनके इलाके में किसी को कोई समस्या है तो वे तत्काल मदद का हाथ उसकी तरफ बढ़ा देते थे. यही कारण है कि इलाके के लोग उन्हें सर आंखों पर बिठाए रखते थे. क्षेत्र में शादी हो या श्राद्ध, मुंडन हो या उपनयन, अष्टयाम हो या जलसा हर जगह मुखिया जी मौजूद मिलते थे. केवल वहां पहुंचते ही नहीं बल्कि घंटों समय बिताते भी. उनके संबंध में कहा जाता है कि वे अपने पंचायत के मामले को थाना तक जाने से पहले ही सुलझा लेते थे. पंचायत में किसी प्रकार की लड़ाई झगड़े या अन्य कोई मामला हो तो लोग पहले फरियाद लेकर मुखियाजी के पास ही पहुंचते थे. मुखियाजी दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामले का त्वरित निष्पादन कर देते थे. इससे आम लोगों को काफी राहत मिलती थी. ऐसे में उनके निधन की खबर ने पूरे इलाके में शोक की लहर पैदा कर दी है.

मैंने अपने एक मजबूत अभिभावक को खो दिया : सुमित कुमार सिंह

चंद्रमंडीह. गोविंद बाबू के निधन के बाद मैंने अपना एक अभिभावक को खो दिया. इनसे हमेशा एक पिता की तरह प्यार मिला. हर छोटे-बड़े निर्णयों में मुझे इनका सलाह मिलता था. इनका निधन मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है. उक्त बातें गोविंद चौधरी के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे बिहार सरकार के विज्ञान व प्रावैधिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कही. उन्होंने कहा कि इनसे मिलने वाला प्यार व स्नेह मेरे लिए ऊर्जा का काम करता था. ये मेरे पिताजी के निकटतम सहयोगियों में से एक थे. उन्होंने कहा कि दुःख की इस घड़ी में हम सभी शोक संतप्त परिजन के साथ हैं. वहीं इस दौरान लगभग 10 किलोमीटर की शव यात्रा में मंत्री श्री सिंह साथ रहे. सती घाट पर अंतिम श्रद्धांजलि देते वक्त भी वे काफी भावुक नजर आए.

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