
अलीगंज. प्रखंड के इस्लामनगर स्थित ऐतिहासिक कर्बला इन दिनों मोहर्रम के अवसर पर एक बार फिर आस्था, भाईचारे और सद्भाव की मिसाल बनकर सामने आया है. मुहर्रम के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोग ताजिया व अखाड़े के साथ पहुंचते हैं. मौलाना मो जहांगीर ने बताया कि इस कर्बला का इतिहास तीन सौ वर्षों से भी अधिक पुराना है. मुहर्रम के मौके पर यहां अलीगंज, दरखा, सुंदरबाद, दंड, चौरासा, सहोड़ा, सेवे, चंद्रदीप, कैथा, बेला, तेलार सहित कई गांवों से ताजिया और सीपर जुलूस के साथ लोग पहुंचते हैं और पारंपरिक तरीके से पाहलाम करते हैं. मुहर्रम के अवसर पर अलीगंज प्रखंड में उत्सव जैसा माहौल रहा. सभी मुस्लिम बहुल गांवों में ताजिया और सीपर बनाये गये. अलीगंज बाजार की ताजिया कमेटी की ओर से तैयार किया गया भव्य ताजिया आकर्षण का केंद्र रहा. वहीं अल्फालाह कमेटी के युवाओं ने अखाड़ा खेलते हुए ढोल-नगाड़े, तलवार, लाठी व पारंपरिक शस्त्रों के माध्यम से हैरतअंगेज प्रदर्शन कर दर्शकों की तालियां बटोरीं. अलीगंज मुख्य सड़क से होकर ताजिया जुलूस इस्लामनगर कर्बला पहुंचा, जहां तीनों गांवों के ताजिया और अखाड़ा दलों ने क्रमवार पाहलाम किया. अखाड़े में युवाओं के प्रदर्शन, घोड़ों की सजावट और बैंड की धुन ने माहौल को और जीवंत बना दिया. इस अवसर पर लोगों ने अमन, शांति, भाईचारा और देश की खुशहाली की दुआ की. कई मुस्लिम भाई-बहनों ने रोजा रखकर इबादत की और खुदा से रहमत की फरियाद की.
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