सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद पूरी करती हैं मां पतसंडा

गिद्धौर दुर्गा मंदिर में सदियों से चली आ रही मां पतसंडा को दंडवत देने की परंपरा

By Prabhat Khabar News Desk | October 7, 2024 10:48 PM
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गिद्धौर. गिद्धौर में चंदेल राजवंश ने उलाय नदी तट पर ऐतिहासिक मां दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था. यहां विराजमान मां पतसंडा की आराधना प्रांतीय स्तर पर प्रसिद्ध है. पौराणिक परंपरा, लोक संस्कृति एवं तंत्र विधान की पूजन पद्धति से आस्था के साथ यहां मां की पूजा होती चली आ रही है. बिहार व झारखंड प्रदेश के विभिन्न जिलों के श्रद्धालु यहां नवरात्र पर्व में मां पतसंडा के पूजन एवं दर्शन को लेकर पहुंचते हैं. माता पतसंडा की महिमा अपरंपार है. कहा जाता है कि माता अपने भक्तों की सच्चे मन से मांगी गयी सभी मुरादें पूरी करती हैं. शारदीय नवरात्र के अवसर पर पहली पूजा से ही यहां भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. बताते चलें कि नवरात्र के अवसर पर ऐतिहासिक मां दुर्गा मंदिर में पूजन व दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रद्धालु मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए अहले सुबह से दंडवत देते हुए मां के दरबार में पहुंचते हैं, जबकि शाम होते ही संध्या आरती में भी अपार भीड़ लग जाती है. ऐसी मान्यता है कि उलाय नदी में स्नान कर जो भी श्रद्धालु मां पतसंडा मंदिर तक दंड प्रणाम करते हुए पहुंचते हैं और मंदिर परिसर में हरिवंश पुराण का श्रवण करते हैं उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. मां पतसंडा दुर्गा के प्रति असीम श्रद्धा व विश्वास का आलम यह है कि दिन-प्रतिदिन यहां भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है. नवमी व विजयादशमी तिथि को तो हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. दशहरा पर्व के अवसर पर दूसरे जिले व प्रदेश से भी श्रद्धालु मां दुर्गा के दर्शन व पूजन के लिए मां के दरबार में आते हैं. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति के सदस्य ऐतिहासिक दशहरा पूजा को सफल बनाने को लेकर तत्परता से जुटे हैं.

दुर्गा पूजा मेले का व्यवसायियों में भी रहता है उत्साह

मीना बाजार व खेल-तमाशा दिखाने वाले को भी रहता है पूजा का इंतजार

गिद्धौर दुर्गा पूजा व मेला का मीना बाजार व खेल-तमाशा दिखाने वालों को भी इंतजार रहता है. इसका मुख्य कारण है कि तीन दिवसीय मेले में यहां लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. खेल-तमाशा दिखाने वाले लोगों को भी मेले में अच्छी आमदनी हो जाती है. बताते चलें कि गिद्धौर मेला परिसर में मीना बाजार व खेल-तमाशा दिखाने वाले एक माह पूर्व से ही अपनी व्यवस्था करने लगते हैं.

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