लगातार कोसी और बागमती नदी का बढ़ रहा जलस्तर, कटाव हुआ है पहले तेज चौथम. जब शासन और प्रशासन हाथ खड़ा कर दे तो आखिर जनता कहां जाएं. लेकिन शिशवा गांव की जनता ने खुद से चंदा कर कटाव के रोकथाम के प्रयास करने का बीरा उठाया है. ऐसे में एक ओर जहां शासन और प्रशासन पर सवाल उठाया जाने लगा है. वहीं ग्रामीणों के इस कार्य की चहुंओर प्रशंसा होने लगी है. हम बात कर रहे हैं चौथम प्रखंड के शिशवा गांव की. दरअसल में जिले के चौथम प्रखंड अंतर्गत दियारा क्षेत्र स्थित सरसवा पंचायत के वार्ड नंबर आठ स्थित शिशवा गांव में कोसी नदी का कटाव विकराल रूप ले लिया. जिससे यहां के लोग दहशत में हैं. हर दिन उपजाऊ जमीन कोसी नदी में समा रही है. वहीं एक सरकारी बिल्डिंग भी कटाव के चपेट में है. जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता मानते हैं कि कटाव विकराल रूप धारण कर चुका है. तीन किलोमीटर में कोसी नदी का कटाव हो रहा है. ऐसे में कटाव की भयावह स्थिति का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन हद तो तब हो गई है अब तक प्रशासनिक स्तर से कटाव के रोकथाम के उपाय नहीं किया जा रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर कटाव के रोकथाम का उपाय नहीं किया गया तो मुख्य सड़क भी कटाव की चपेट में आ सकती है. जिस कारण लोगों ने रविवार को खुद से गांव में चंदा कर कटाव के रोकथाम के लिए कार्य शुरू कर दिया. बताया जाता है कि शिशवा गांव में कटाव को लेकर शनिवार की देर शाम को पूरे गांव के लोगों की एक बैठक बुलाई गई. जिसमें तय हुआ कि गांव को बचाना पड़ेगा. अगर कटाव नहीं रुका तो सड़क कट जाएगी. फिर गांव पर कटाव का खतरा मंडराने लगेगा. रविवार के सुबह से ही ग्रामीणों के द्वारा कटाव स्थल पर बम्बू पायलिंग का कार्य शुरू कर दिया गया. सामाजिक कार्यकर्ता सच्चितानंद यादव ने कहा की इस बार कोसी नदी का कटाव काफी भयाभय रूप धारण किया हुआ है. कटाव से हर दिन अभी एक एकड़ से ऊपर उपजाऊ जमीन कोसी नदी में समा रही है. हमलोगों ने पूरा गांव में चंदा करके बम्बू पायलिंग का कार्य कर रहे है. जहां तक होगा आखिरी सांस तक ग्रामीणों के मदद से कटाव की रोकने का प्रयास किया जाएगा.
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