नागपंचमी आज बिशौनी एवं डुमरिया बुजुर्ग में विशेष पूजा का आयोजन

मां की प्रेरणा से जब उन्होंने मिट्टी व खपड़ैल के मंदिर को तुड़वाया तो दर्जनों सर्प निकलना शुरु हो गया.

By RAJKISHORE SINGH | July 28, 2025 9:01 PM
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मुरादपुर गांव स्थित भगवती मंदिर में 11 अगस्त को होगी पूजा मंदिर में उमड़ेगा जनसैलाब, बहेगी भक्ति की सरिता परबत्ता. मंगलवार को श्रावण मास के शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी पूजा श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जाएगा. जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. ग्रामीणों की माने तो माधवपुर पंचायत अंतर्गत मुरादपुर गांव स्थित मां भगवती मंदिर में इस बार नागपंचमी के दिन पूजा नहीं हो पाएगी. क्योंकि उक्त टोला में एक वृद्ध व्यक्ति का निधन होने के पश्चात, मृत्यु शोक के कारण यहां पूजन पाठ स्थगित किया गया है. यह पूजा 11 अगस्त को विधिवत तरीके से किया जाएगा. नागपंचमी के दिन विशेष पूजन के साथ बली प्रदान एवं ब्रह्माण, कुंवारी भोजन कराने की सदियों पुरानी परंपरा है. इस भगवती मंदिर की स्थापना को लेकर गांव के लोगों में दर्जनों किंवदन्तियां प्रचलित हैं. गांव के सभी लोगों का विश्वास है कि किसी भी विषैला जन्तु के द्वारा डंसा हुआ व्यक्ति यहां के नीर से स्वस्थ होकर ही जाता है. यह स्पष्ट है कि जो यहां एक बार पूजा कर के जाता है उसकी मन्नतें पूरी होती हैं तथा वह बार बार यहां आता है. भगवती मंदिर में पूजा पाठ देख रेख का कार्य विश्वकर्मा समाज के लोग करते हैं. (तीसरी बार हुआ मंदिर का निर्माण व जीर्णोद्धार) गांव के लोग बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना काल में यह मिट्टी का हुआ करता था।भगवती और उनके भगत इस मंदिर में ही रहते थे. बाद में गांव के ही मां के भक्त को स्वप्न में यह प्रेरणा दिया कि तुम मेरे मंदिर को सुंदर व सुव्यवस्थित ढंग से बनाओ ताकि आने वाले भक्तों को भक्ति व सेवा करने में असुविधा नहीं हो. कहा जाता है कि मां की प्रेरणा से जब उन्होंने मिट्टी व खपड़ैल के मंदिर को तुड़वाया तो दर्जनों सर्प निकलना शुरु हो गया. इसे देखकर उन्होंने पुजारी पंडित को बुलवाया और उनके प्रार्थना करने के बाद सारे सर्प लुप्त हो गये. इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया. इससे मंदिर का भवन व परिसर और भी खिल उठा है. इलाके के लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं. ( अतिप्राचीन हैं विषहरी मंदिर डुमरिया बुजुर्ग ) सियादतपुर अगुआनी पंचायत के डुमरिया बुजुर्ग गांव के अंदर में स्थापित मां विषहरी की महिमा अपरम्पार है. अतिप्राचीन विषहरी मंदिर डुमरिया बुजुर्ग में दुर दराज से भक्तगण यहां पूजा अर्चना करने आते हैं. गांव के राजीव कुमार, अजय कुंवर, सुरज कुंवर, विकास कुमार, राकेश कुमार, जयप्रकाश कुंवर, दिलीप कुमार आदि ग्रामीण लोगों का विश्वास है कि किसी भी विषैला सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति यहां के नीर से स्वस्थ होकर ही जाता है. मंदिर के पंडित संतोष झा ने बताया कि श्रावण मास के शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ फुलाईस , ब्राह्मण एवं कुंवारी भोजन कराने की सदियों पुरानी परंपरा बरकरार है. मां विषहरी के दरवार में जो सच्चे मन से मनोकामनाएं लेकर भक्त गण आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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