परबत्ता. 13 दिवसीय मधुश्रावणी को लेकर माहौल भक्तिमय बना हुआ है. पूजा का समापन 27 जुलाई को होगा. प्रत्येक दिन पूजा समाप्ति के बाद भाई अपनी बहन को हाथ पकड़ कर उठाता है. नवविवाहिता अपने भाई को इस कार्य के लिए दूध ,फल आदि दिया जाता है. पूजा के अंतिम दिन पूजन करने वाली महिला को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है. टेमी दागने की परंपरा है. इसके पीछे मान्यता है कि इससे पति पत्नी का संबंध मजबूत होता है. पूजा के अंतिम दिन 14 छोटे बर्तनों में दही तथा फल-मिष्ठान सजा कर पूजा किया जाता है. साथ ही 14 सुहागन महिलाओं के बीच प्रसाद का वितरण कर ससुराल पक्ष से आए हुए बुजुर्ग से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. उसके बाद पूजा का समापन होती है. सदियों से चली आ रही मिथिला संस्कृति का महान पर्व आज भी बरकरार है. नवविवाहिता श्रद्धा भक्ति के साथ मना रहीं है.
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