Home बिहार खगड़िया जब मुखिया व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि की हुई निकासी, तो सिर्फ सचिव पर कैसे हुई प्राथमिकी

जब मुखिया व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि की हुई निकासी, तो सिर्फ सचिव पर कैसे हुई प्राथमिकी

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जब मुखिया व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि की हुई निकासी, तो सिर्फ सचिव पर कैसे हुई प्राथमिकी

लोक शिकायत निवारण कार्यालय से पारित आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने पर कमिश्नर का खटखटाया दरवाजा

पंचायत सरकार भवन निर्माण के नाम पर छह लाख रुपये गबन मामले में डीपीआरओ की भूमिका की होगी शिकायत

गोगरी. लोगों को साठ दिनों के अंदर न्याय दिलाने के लिए सरकार द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण एवं अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण की स्थापना की गई है. यहां दायर परिवाद में आदेश पारित करने के बाद भी संबंधित पदाधिकारी उसका अनुपालन कराने के प्रति उदासीन बने रहते हैं. इस कारण शिकायत कर्ता को न्याय नहीं मिल पाता है और वह संबंधित पदाधिकारी के शिकायत को लेकर डीएम और कमिश्नर के यहां पहुंच जाते हैं. पीजीआरओ द्वारा एक दर्जन से अधिक पारित आदेश का संबंधित पदाधिकारी द्वारा अनुपालन नहीं कराया जा रहा है.

15 दिन के अंदर दिया था कार्रवाई का निर्देश

प्रखंड क्षेत्र के गोगरी पंचायत में सरकारी राशि गबन करने के मामले में चार साल बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर गोगरी निवासी अक्षय कुमार ने कमिश्नर से शिकायत किया. बताया जाता है कि अक्षय ने जिला लोक शिकायत निवारण केंद्र में आवेदन देकर शिकायत किया था. जिसकी सुनवाई बीते 7 अप्रैल को पूरा हुआ. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने 15 दिनों के अन्दर साक्ष्य उपलब्ध कराकर गबन करने वाले आरोपित के विरुद्ध एक नहीं बल्कि दो पहला सर्टिफिकेट केस और दूसरा प्राथमिकी दर्ज कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था. गबन के आरोपित पर कार्रवाई के आदेश की जानकारी के बाद वह जिला पंचायती राज कार्यालय में चक्कर लगाने लगे और सेटिंग कर मामले को दबाने में पूरी ताकत झोंक दिया. जिसके बाद जिला लोक शिकायत पदाधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए एक माह बाद बीते 7 मई को गोगरी बीपीआरओ सुमित कुमार द्वारा गोगरी थाना में आवेदन देकर खानापूर्ति करते हुए सिर्फ तत्कालीन पंचायत सचिव जियाउल हक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी है. गोगरी थाना में पंचायत सचिव के विरुद्ध कांड संख्या 115/25 दर्ज किया गया है. इतना ही नहीं तत्कालीन मुखिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आरोपित अक्षय कुमार ने मुंगेर कमिश्नर के यहां आवेदन देकर जिला पंचायती राज पदाधिकारी की शिकायत किया. आवेदन में आरोप लगाया गया कि पदाधिकारी द्वारा गबन मामले में शामिल आरोपित तत्कालीन मुखिया को बचाने की कोशिश किया जा रहा है.

क्या है मामला

गोगरी के पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी राजाराम पंडित द्वारा उनके कार्यालय से निर्गत पत्र के अनुसार प्रखंड के गोगरी पंचायत में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पंचायत सरकार भवन निर्माण किये बैगर गोगरी पंचायत के पूर्व मुखिया शांति देवी, पूर्व पंचायत सचिव जियाउल हक, पूर्व मुखिया के पुत्र मंजेश कुमार द्वारा 23 अक्टूबर 2020 को चेक संख्या 2093564 के माध्यम से 3 लाख रुपये की निकासी किया था. जबकि बीते 25 सितंबर 2020 को चेक संख्या 2093561 के माध्यम से उपरोक्त लोगों द्वारा 3 लाख 20 हजार रुपये की निकासी किया गया था. पंचायत सरकार भवन बिना निर्माण किये अवैध ढंग से 6 लाख 21 हजार 385 रुपये की निकासी कर गबन कर लिया गया था. जिसमें बीते 6 मार्च 2025 को बीडीओ राजाराम पंडित ने प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के ज्ञापांक 340 दिनांक 24 फरवरी 2025 के आलोक में गोगरी के पूर्व मुखिया शांति देवी, गोगरी पंचायत के पूर्व पंचायत सचिव जियाउल हक और पूरे मामले का मास्टरमाइंड गोगरी के पूर्व मुखिया के पुत्र मंजेश कुमार यादव को नोटिस भेजा था. जिसमें लिखा था कि पंचायत सरकार भवन बनाने के नाम पर एडवांस के तौर पर अवैध ढंग से निकाली गई 6 लाख 21 हजार 385 रुपये प्रखंड नजारत में जमा करें. अन्यथा विभागीय कार्रवाई के साथ तीनों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी.

बीते 6 फरवरी को सुनवाई हुई थी आरंभ

बता दें कि उक्त गबन राशि की शिकायत बीते 06 फरवरी 2025 से अक्षय कुमार ने जिला लोक शिकायत निवारण केंद्र में किया था. बीते 7 अप्रैल को उक्त मामले में पूरी जांच और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश प्रशासन को दिया गया था. लेकिन जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने उक्त मामले में कार्रवाई करने का आदेश बीडीओ को नहीं देते हुए बीपीआरओ सुमित कुमार को दिया. वह भी पंचायत सचिव जियाउल हक को आरोपित बनाया. जबकि पंचायती राज नियम में यह साफ है कि कोई भी सरकारी राशि यदि चेक के माध्यम से निकासी किया जाता है तो उसमें मुखिया और पंचायत सचिव दोनों का संयुक्त हस्ताक्षर होता है. बैंक दोनों का हस्ताक्षर मिलान कर राशि निकासी की अनुमति देती है.

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