Motihari: हरसिद्धि.सरकार भले ही “सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा ” की बात करती हो, मगर ज़मीनी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत नज़र आती है. खासकर जब बात हो एनपीएस धवही, खालसा टोला की. यह स्कूल न केवल भवनविहीन है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं से भी कोसों दूर है. घोघराहा बैरिया पंचायत अंतर्गत स्थित इस विद्यालय में कुल 132 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. लेकिन न इनके पास बैठने को बेंच है, न ऊपर छत, न पीने का पानी और न ही बिजली या पंखे जैसी बुनियादी सुविधाएं. ऐसे हालात में बच्चे धूप, बरसात और मिट्टी के बीच संघर्ष कर रहे हैं और इसी को उन्होंने पढ़ाई मान लिया है. विद्यालय में कार्यरत तीन शिक्षकों में दो महिला शिक्षिका हैं और एक शारीरिक रूप से दिव्यांग पुरुष शिक्षक, जो न केवल अपने शारीरिक कष्ट से जूझ रहे हैं. बरसात के दिनों में हालात और बदतर हो जाते हैं छत के अभाव में बारिश की हर बूंद यूनिफॉर्म से लेकर किताब-कॉपी तक सब कुछ भिगो देती है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने शायद इस विद्यालय को कभी देखा ही नहीं या देखा भी है तो आंखें मूंद ली हैं. बच्चों की पढ़ाई खुले आसमान के नीचे चलती है, जबकि सरकारी फाइलों में यहां स्मार्ट क्लास का दावा किया जाता है. बच्चों की यह जद्दोजहद “निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा ” के उस वादे पर सवाल खड़ा करती है जिसे संविधान ने सुनिश्चित किया है. मगर यहां संविधान की जय-जयकार दीवारों के बिना एक ऐसी जगह हो रही है, जो ‘शिक्षा का मंदिर’ कम और उपेक्षा का प्रतीक अधिक प्रतीत होता है. इस संबंध में पंचायती राज पदाधिकारी सह प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले साल ही शिक्षा विभाग को विद्यालय भवन के लिए विभाग को लिखा गया था जो कि अभी विचाराधीन हैं.
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