Motihari: मोतिहारी. मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण खेतों में किसानों के बीज सूख रहे है. अब किसान दूसरे खेप के बीज गिराने की तैयारी में लगे है. इससे उन पर दुगुना बोझ पड़ रहा है, जिससे किसान काफी परेशान नजर आ रहे है. विभाग इसके लिए कुछ भी करने में सक्षम नहीं है. बताया जाता है कि पिछले 5 मई से धान के बीज गिराने की प्रकिया शुरू हो जाती है. यह प्रक्रिया जून तक चलता है, लेकिन लोगों ने बारिश की स्थिति को देख मई में नहीं बल्कि जून के प्रथम सप्ताह में धान का बीज गिराना शुरू कर दिया. यह सोच कर की अमूमन बिहार में आठ, नौ जून तक बारिश शुरू जाती है, लेकिन इस बार बारिश ने किसानों के मेहनत पर पानी फेर दिया. वहीं जिनके धान के बीज गिर गये है और वह उग गये है अब वह जलने लगा है. किसान उसे किसी तरह से पानी डालकर उसे जीवित रखने का प्रयास कर रहे है. फिर भी जमीन के परत सूख रहे है. किसान रामाशंकर ठाकुर ने बताया कि एक एकड़ खेत के लिए बीज तैयार करने में करीब 10 से 12 हजार रुपया खर्च होता है. पहले तो खेत को ट्रैक्टर से जुताई की जाती है फिर खाद आदि डाले जाते है. उसके बाद खेत तैयार होता है और बीज डाले जाते है. एक एकड़ खेत के लिए कम से कम 15 किलो धान के बीज डाले जाते है. धान के एक किलो बीज की कीमत 80 रुपया से लेकर 150 रुपया तक है. उन्होंने बताया कि धान के बीज को पैदा करने में तीन बार पानी का पटवन करना पड़ता है. साथ ही खाद एवं कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाता है. बावजूद इसके धान के बीच सूखने के कगार पर आ गया है. खेतों में मिट्टी की परते जमने लगी है. यदि यह धान का बीज सूख जाता है तो पुन. खेत तैयार कर फिर से बीज गिराना पड़ सकता है.
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