Motihari: चकिया.बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने मंगलवार को चकिया स्थित यूनानी मेडिकल कॉलेज अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर परिसर में नवनिर्मित 100 बेड वाले अस्पताल का उद्घाटन करते हुए कहा कि डाक्टरों पर खास जिम्मेदारी होती है. इसलिए मरीज़ के लिए दवा गंगाजल और डाॅक्टर भगवान होते हैं. उन्होने कहा कि हम जो फीस डाक्टर को देते हैं वो केवल उसकी जिस्मानी मेहनत के लिए है. उनकी आत्मीयता, मरीजों के दर्द को समझने की संवेदना और उनके किए गए प्रयासों का ऋण मरीज़ कभी नहीं चुका सकता है.उन्होने कालीदास के कथन को दोहराते हुए कहा कि सेहतमंद जिस्म ही हर नेक कार्य करने का माध्यम है. हिन्दू धर्म के अनुसार जितने भी पुरुषार्थ है उन्हें हासिल करने के लिए अच्छी सेहत का होना जरूरी है. महामहिम ने यूनानी और एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति दोनों को एक ही बताया. कहा कि जब मुजीब एक है तो सिस्टम अलग-अलग कैसे हो सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि अरबों ने जब यूनानी इल्म को अपनाया तो यह उनका इल्म नहीं था. लेकिन उस समय तंगदिली नहीं थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद राधामोहन सिंह ने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के साथ रच-बस गई है. सांसद ने कहा कि 2500 साल पुरानी इस पद्धति को लखनऊ, दिल्ली और हैदराबाद के कुछ परिवारों के प्रयास ने अंग्रेजी शासनकाल में भी जीवित रखा.कहा कि मोदी सरकार ने ही 2014 में उस विभाग को मंत्रालय का दर्जा दिया.आज यूनानी चिकित्सा पद्धति के मामले में भारत का अग्रणी स्थान है.सरकार ने होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति से निकलने वाले चिकित्सकों को नियुक्तियां दे कर संस्कारगत चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने का काम किया है.
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