Motihari: छतौनी बस स्टैंड में बने नये प्याऊ में लटक रहा ताला

गर्मी परवान पर है. चिलचिलाती धूप में पसीना निकलने से तेज प्यास लग रहा है. गला सूखने से शीतल पेयजल के लिए लोग बेचैन हो जा रहे हैं.

By AMRESH KUMAR SINGH | June 1, 2025 4:46 PM
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Motihari: मोतिहारी. गर्मी परवान पर है. चिलचिलाती धूप में पसीना निकलने से तेज प्यास लग रहा है. गला सूखने से शीतल पेयजल के लिए लोग बेचैन हो जा रहे हैं. इतनी गर्मी के बीच शहर के छतौनी बस स्टैंड में यात्रियों को पेयजल मयस्सर नहीं हो रहा. अब तो बस स्टैंड पर यात्रियों को प्यास भी सताने लगी है. लाखों रुपये खर्च कर बना नगर निगम का प्याऊ अबतक चालू नहीं हो पाया है. पुराने प्याऊ को तो निगम ने तोड़ दिया. वहीं नया प्याऊ बनने के बाद भी चालू नही हो पाया है. ऐसे में प्राइवेट बस स्टैंड में शीतल पेयजल की किल्लत बनी हुई है.

पानी खरीद कर प्यास बुझाने को विवश यात्री

यात्रियों की संख्या के अनुपात में पेयजल की उपलब्ध नहीं रहने से जहां पानी पीने के लिए यात्रियों को भटकना पड़ता है. वहीं, पानी खरीद कर प्यास बुझाने को विवश होना पड़ रहा है. बस स्टैंड पर पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से यात्रियों में असंतोष व्याप्त है. बताते चले कि नगर निगम के द्वारा बस स्टैंड में नया भवन के साथ प्याऊ बनाया गया है. भवन की रंग-रोगन कर उसमें वाटर पंप लगाने से लेकर बिजली आपूर्ति और पानी ठंडा करने के लिए मशीन तक लगाये जा चुके है. लेकिन निर्माण में तकनीकी खामियों के कारण प्याऊ का कनेक्शन नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण पिछले दो माह से ताला लगा हुआ है. बताया जाता है कि इसका सबसे पहले निर्माण आरंभ हुआ था. जबकि इसके बाद के निर्माण वाले प्याऊ चालू हो गये और यह अबतक चालू नहीं हो पाया. ऐसे में नगर निगम प्याऊ चालू करने के लिए कहीं मौनसून आने की प्रतिक्षा तो नहीं कर रहा?

प्रतिदिन सौ से अधिक बसों का है संचालन

शहर के व्यस्तम रोडवेज बस स्टैंड के रूप में स्थापित छतौनी प्राइवेट बस स्टैंड से रोज सैकड़ों की संख्या में बस खुलती है. इनमें कई बसें अंतरराज्यीय टूर की है. लेकिन यहां भी यात्रियों को पानी के लिए भटकते रहते हैं. यहां हैंडपंप खोजने से नहीं मिलता है. इस बस स्टैंड से रांची, दिल्ली, बंगाल के सिल्लिगुड़ी, यूपी के वाराणसी के अलावे पटना सहित कई जिलों के लिए बसों का संचालन प्रतिदिन होता है. स्टैंड के नाम पर प्रत्येक साल नगर निगम को करीब 85 लाख सलाना राजस्व की प्राप्ति होती है. बावजूद पानी के लिए किल्लत बनी हुई है और गर्मी में लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ता है.

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