Motihari: मोतिहारी. महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ”प्रेमचंद व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर प्रेमचंद की 145वीं जयंती पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष एवं मानवीकी एवं भाषा संकाय विभाग के अधिष्ठाता प्रो. राजेंद्र सिंह बड़गूजर ने किया. इस व्याख्यान में हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव, सहायक आचार्य डॉ. गरिमा तिवारी, सहायक आचार्य डॉ. गोविंद प्रसाद वर्मा, सहायक आचार्य डॉ. आशा मीणा एवं संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. बबलू पाल भी उपस्थित रहे. सर्वप्रथम अवधेश कुमार शोधार्थी, हिंदी विभाग ने सभी मंचासीन महानुभावों का स्वागत किया. ”प्रेमचंद: व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर प्रकाश डालते हुए प्रो. राजेंद्र सिंह बड़गूजर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा ”प्रेमचंद की भाषा लोक की भाषा है.” ”साहित्य में युगबोध का होना अति आवश्यक है. साहित्यकार के साहित्य का उसके जीवन से गहरा तालमेल होता है. हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा की कोई भी रचनाकार किसी भी विचारधारा का पूर्णतः गुलाम नहीं होता. प्रेमचंद की गरीबी प्रदर्शनी वाली गरीबी थी इस मिथक से बाहर निकलकर विचार करने की जरूरत है.”कफन कहानी परिचयीकरण की कहानी है. कार्यक्रम का सफल संचालन विकास कुमार शोधार्थी, हिंदी विभाग, धन्यवाद ज्ञापन अशर्फी लाल शोधार्थी, हिंदी विभाग, रिपोर्ट लेखन अस्मिता पटेल शोधार्थी, हिंदी विभाग ने किया.इस व्याख्यान कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें एम. ए. प्रथम वर्ष से उज्ज्वल, आशुतोष, कामिनी कुमारी, राहुल कुमार, सोनू, पल्लवी, खुशहाल एवं द्वितीय वर्ष से शिवानी, अनन्या, मनु भगत, नीतिका, ज्योति, कविता तथा शोधार्थी आशुतोष, महेश, धीरज आदि शामिल रहे.
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