जमालपुर
एशिया प्रसिद्ध रेल इंजन कारखाना की स्थापना 1862 ई में हुई थी. जानकार बताते हैं कि तब यहां रेल कर्मियों की संख्या 20 हजार से अधिक थी. जो वर्तमान में सिमट कर 6,480 तक पहुंच चुकी है. ब्रिटिश हुकूमत ने इस रेल कारखाना को जमालपुर में स्थापित कर एक सर्टिफिकेट दे दिया था कि इस क्षेत्र में उम्दा कारीगर और जगह की कमी नहीं है. यही कारण है कि रेल कारखाना जमालपुर को जितना भी वर्क लोड मिला है. सबको बड़ी ही सहजतापूर्वक निर्धारित समय सीमा में और अपेक्षाकृत कम लागत पर तैयार कर दिखाया है, परंतु इस रेल कारखाना की विडंबना ही है कि देश की आजादी के बाद सबसे अधिक रेल मंत्री देने वाले बिहार प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक संस्थान रेल इंजन कारखाना जमालपुर क्षेत्रीयतावाद का शिकार होकर भारतीय रेल के विकास की दौड़ में लगातार पिछड़ता चला गया. एक-एक कर इस रेल इंजन कारखाना के लगभग डेढ़ दर्जन शॉप को बंद कर दिया गया.
इन शॉप को किया गया बंद
स्थापना काल में रेल इंजन कारखाना जमालपुर की आवश्यकता की हर एक वस्तु का निर्माण कारखाना परिसर में ही किया जाता था, परंतु स्थानीय वरीय रेल अधिकारियों की लापरवाही या उदासीनता तथा राजनीतिक कारण से अब यह रेल इंजन कारखाना आउटसोर्सिंग पर निर्भर है. जानकार यह भी बताते हैं कि इस दरमियान मशीन शॉप, ब्रास फिनिशिंग शॉप, एचटीएस, बीडब्ल्यूएफ अर्थात पीतल ढलाई घर, पीडब्ल्यूएफ अर्थात पुराना ढलाई घर, फोर्ज शॉप, डीएसएस अर्थात फर्मा घर, पैटर्न शॉप, जीआईएफ, स्टील फाऊंडरी, बॉयलर शॉप, इरेक्टिंग शॉप, रोलिंग मिल, नट बोल्ट शॉप और तांबा घर जैसे शॉप को बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं पूर्व में पावर हाउस में कारखाना द्वारा बिजली उत्पादन किया जाता था, परंतु अब बिहार सरकार की बिजली पर निर्भर हो गया है.
नेचर ऑफ़ वर्क बदलने से कई नए शॉप का भी हुआ निर्माण
रेल इंजन कारखाना की स्थापना वाष्प इंजन के लिए किया गया था. समय बदलने के साथ वाष्प इंजन चलन से समाप्त हो गया और डीजल इंजन का चलन आरंभ हो गया, फिर डीजल इंजन भी समाप्ति की कगार पर है और अब इलेक्ट्रिक इंजन की बारी है. ऐसे में जमालपुर रेल कारखाना में नेचर ऑफ वर्क बदलने के कारण कई नई शॉप भी बने हैं. जिसमें एमसीटीआर, बीएसएस, वीएलसी, डब्ल्यूआरएस 1 से 4, एमटीएस, बीएसटी, एसएमएस अर्थात डीसीएस, डब्ल्यूसीएस एक और दो, क्रेन शॉप, टीपीटी रोड, टीपीटी रेल, इलेक्ट्रिक शॉप, सीएमटी, टीएमएस, व्हील शॉप, डीपीएस, टीटीएस, वेल्डिंग शॉप मुख्य रूप से शामिल है.
क्रेन शॉप भी बंदी के कगार पर
जानकार बताते हैं कि वर्तमान में रेल इंजन कारखाना जमालपुर में 140 टन क्रेन का उत्पादन होता है, परंतु मांग के अभाव में यह काम भी बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है. यह भी बताया जाता है कि रेलवे को अब 175 टन क्रेन की आवश्यकता महसूस हो रही है. इस जमालपुर रेल कारखाना के कर्मचारियों को 140 टन क्रेन बनाने का लंबा अनुभव है, इसलिए रेल इंजन कारखाना जमालपुर में ही 175 टन क्रेन का निर्माण कार्य का वर्क लोड दिया जाना चाहिए. लोगों का मानना है कि रेल मंत्री के आगमन से जमालपुर कारखाना को 175 टैंक क्रेन निर्माण का वर्क लोड मिल सकता है.
रेलमंत्री से जमालपुर के लोगों को है बड़ी उम्मीद
रेल इंजन कारखाना जमालपुर में रेल कर्मचारियों के स्वीकृत पद की संख्या 8067 है. परंतु यहां कार्यरत रेल कर्मियों की संख्या मात्र 6,480 है. यह आंकड़ा 1 अप्रैल 2025 तक का है. ऐसे में इस कारखाना के प्रति मुख्यालय का नजरिया क्या है यह स्पष्ट हो जाता है. अब जबकि शुक्रवार को रेल मंत्री जमालपुर पहुंच रहे हैं तब स्थानीय लोगों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि जमालपुर के निकटतम रेल मुख्यालय पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय है. इसलिए रेल इंजन कारखाना जमालपुर को पूर्व मध्य रेलवे में शामिल कर दिया जाना चाहिए. इसके अलावा पटना सहित बिहार के चार शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. इसलिए मेट्रो के मेंटेनेंस कार्य को भी जमालपुर रेल कारखाना को सौप दिया जाना चाहिए.
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