मुंगेर . बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन किया जा रहा है. केंद्र की महत्ता इतनी बढ़ गयी है कि वहां गर्भवती व धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण संबंधी सेवाएं प्रदान की जाने लगी है. आंगनबाड़ी केंद्र की बढ़ती लोकप्रियता का ही परिणाम है कि सरकार ने उसके लिए खुद का भवन बनाने का निर्णय लिया है. लेकिन मुंगेर में संचालित 1597 में 1039 आंगनबाड़ी केंद्र को अपना भवन आज भी नसीब नहीं है. एक हजार से अधिक आंबा केंद्र आज भी विद्यालय, सामुदायिक भवन, पंचायत भवन और किराये के मकान के अलावे झोंपड़ी व बथान में संचालित हो रहा है. इन आंबा केंद्र में पढ़ने वाले बच्चे खुद को असुरक्षित व असहज महसूस कर रहे हैं. ऐसे में उनके शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
किराये के भवन, बथान व झोंपड़ी में चल रहा 1039 आंबा केंद्र
जिले में 1597 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया जा रहा है. मात्र 230 आंबा केंद्र का अपना भवन है. जबकि 188 केंद्र सामुदायिक भवन, पंचायत भवन व सरकारी भवन में संचालित हो रहा है. 140 आंबा केंद्र को विद्यालय में संचालित कराया जा रहा है. 1039 आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवन, झोंपड़ी, बथान व करकट के बने कमरों में संचालित किया जा रहा है. विदित हो कि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित भवन विहीन किराये के मकान में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र के लिए सरकार को प्रति आंगनबाड़ी केंद्र प्रति माह छह हजार रूपये किराया दिया जा रहा है.
मुंगेर सदर में संचालित आंबा केंद्र को अपना भवन नसीब नही
आंगनबाड़ी केंद्र की उपयोगिता ग्रामीण क्षेत्र में देखने के बाद सरकार ने गरीब बच्चों को स्वास्थ्य, शिक्षा व पोषण की संवाएं प्रदान करने के लिए शहरी क्षेत्र में भी केंद्र खोला. इसके तहत मुंगेर सदर में भी 126 आंगनबाड़ी केंद्र महादलित टोला सहित अन्य शहरी क्षेत्रों में खोला गया. लेकिन शहर में संचालित एक भी केंद्र को अपना भवन आज तक नसीब नहीं है. शहरी क्षेत्र के सभी केंद्रों का संचालन किराये के भवन में हो रहा है. सरकार हर आंगनबाड़ी केंद्र को दो हजार रुपये प्रति माह किराया दे रही है.
झोंपड़ी में खुद को असुरक्षित व असहज महसूस कर रहे नौनिहाल
सरकार द्वारा नौनिहालों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा सहित सर्वांगीण विकास के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थापित किया गया है. इन आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन से छह वर्ष तक के बच्चे पढ़ते हैं. छह साल तक के बच्चों की प्री-प्राइमरी शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाती है. बच्चे यहां से निकल कर निकट के प्राथमिक स्कूलों में पहली कक्षा में लेते हैं. यहां झोपड़ी व बथान में भी आंगनबाड़ी केंद्र चल रहा है. जिसके कारण बच्चे खुद को वहां असुरक्षित व असहज महसूस कर रहे है. हाल यह है कि केंद्र पर उचित सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का घोर अभाव देखने को मिल रहा है. इन परिस्थितियों में बच्चों को उचित माहौल में शिक्षा और पोषण नहीं मिल पाता है. बच्चों के लिए बैठने की व्यवस्था, साफ-सफाई और खेल का मैदान नहीं होता है. ये केंद्र भीषण गर्मी व बारिश में भी बिना मूलभूत सुविधा के चलते हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाई के दौरान परेशानी होती है.
शिलान्यास के बाद भी नही हुआ भवन निर्माण
मुंगेर : विभागीय स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार पांच फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर मुंगेर पहुंचे थे. उन्होंने इस दौरान जिले के 32 स्थानों पर आंगनबाड़ी केंद्र के लिए भवन निर्माण का शिलान्यास किया था. इसका निर्माण मनरेगा से होना है् लेकिन मनरेगा से एक ईंट तक चिह्नित स्थान पर भवन निर्माण के लिए नहीं लगाया गया है.
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