बिहार के ऐसे शिक्षा मंत्री जिन्हें 90 मिनट में देना पड़ा था इस्तीफा, जानिए पूरी कहानी

Bihar News: बिहार की राजनीति में कई ऐसी घटनाएं हैं जो बेहद रोचक है. एक ऐसी की घटना के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें एक मंत्री को सिर्फ 90 मिनट में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. जानिए कौन थे वो मंत्री और क्या थी उनकी कहानी...

By Paritosh Shahi | July 7, 2025 5:56 PM
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Bihar News: बिहार की राजनीति के कई ऐसे किस्से हैं जिनके बारे में ज्यादा बात नहीं होती. ऐसा ही एक किस्सा है डॉ मेवालाल चौधरी का है, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी ने 2020 में नीतीश कुमार सरकार में मंत्री पद पर शपथ तो लिया लेकिन केवल 90 मिनट ही मंत्री रह पाए.

कौन थे मेवालाल चौधरी

डॉ मेवालाल चौधरी बिहार के मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे. वे एक प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक थे और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर(भागलपुर) के वाइस चांसलर भी रहे. वे कृषि शिक्षा और रिसर्च के लिए काफी प्रतिष्ठित थे. उन्होंने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से PHD की थी और इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट (IARI) में भी काम किया था. वाइस चांसलर रहते हुए उन्होंने कई प्रशासनिक और पढाई से सम्बंधित सुधारों की शुरुआत की थी.

नियुक्तियों में धांधली के लगे थे आरोप

इसी दौरान उनपर विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में धांधली के भी गंभीर आरोप लगे. यह मामला 2017 में सामने आया जब उस वक्त रहे राज्यपाल ने उन पर FIR दर्ज कराई और उनको वाइस चांसलर के पद से हटवा दिया. दरअसल, मामला जूनियर वैज्ञानिक और प्रोफेसरों की नियुक्ति का था, जहां धांधली होने के आरोप मेवालाल चौधरी पर लगे थे. इसके बाद उन्हें 2018 में जदयू ने पार्टी से निकल दिया था जब जदयू और राजद ने महागंठबंधन की सरकार बनाई थी. लेकिन उसी साल कोर्ट द्वारा पूर्वानुमानित बेल मिलने पर उन्हें पार्टी में वापिस ले लिया गया था.

2020 में बनाया गया था शिक्षा मंत्री

2020 में जब नीतीश कुमार ने एनडीए की सरकार बनाई तो तारपुर से दोबारा विधायक बने मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाया गया. 16 नवंबर 2020 को उन्होंने कैबिनेट में शिक्षा मंत्री पद की शपथ ली. शपथ लेते ही उनके पुराने घोटाले का मामला फिर से सामने आ गया. विपक्षी पार्टी राजद ने मेवालाल चौधरी के मंत्री बनने पर जमकर बवाल किया.

तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके सवाल पूछा था की क्या एक भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्ति को शिक्षा विभाग जैसी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए? मीडिया से लेकर सड़क तक इस निर्णय का विरोध हुआ जिससे सरकार पर दबाव बढ़ गया. इसके बाद मात्र 90 मिनट यानि डेढ़ घंटे के अंदर मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. यह बिहार की राजनीति का एकलौता ऐसा मामला था जहां एक मंत्री को इतने कम समय में इस्तीफा देना पड़ा.

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कैसे हुई मृत्यु

मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मेवालाल चौधरी राजनीति में एक्टिव नहीं रहे. इसी बीच 2021 की शुरुआत में वे कोरोना वायरस से पीड़ित हो गए. हालत गंभीर होने के बाद उन्हें पटना के पारस अस्पताल में एडमिट किया गया. कुछ समय बाद कोरोना बीमारी से जूझते हुए अस्पताल में उनका निधन हो गया. (मृणाल कुमार)

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