ड्रेस कोड का नहीं हो रहा पालन, अनधिकृत लोग कर रहे काम
सदर अस्पताल में ड्रेस कोड का पालन नहीं होने से आम आदमी आसानी से फर्जी स्वास्थ्यकर्मियों के झांसे में आ जाता है और इनकी सलाह मानने लगता है. इसके बाद उनका आर्थिक शोषण शुरू होता है. अस्पताल प्रशासन की उदासीनता का आलम यह है कि इमरजेंसी वार्ड में हर शिफ्ट में आधा दर्जन लोग अनधिकृत रूप से काम करते हैं. चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी भी उनको खुली छूट दे रखे हैं. उनका आधा से अधिक काम वही अनधिकृत लोग करते हैं.
सदर अस्पताल में गोलीबारी घटना की हो सकती है पुनरावृत्ति
सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड बिचौलियों का अड्डा बन गया है. यही कारण है कि यहां गोलीबारी तक की घटना हो चुकी है. कई बार चिकित्सक व बिचौलियों के बीच मारपीट तक की घटना हो चुकी है. 27 अप्रैल, 2022 को सदर अस्पताल में दलाली को लेकर दो गुट आमने-सामने हो गये थे और जमकर मारपीट की घटना हुई थी. बाद में एक चिकित्सक के बुलावे पर अपराधियों का दल आया और सदर अस्पताल के अंदर व बाहर दवा दुकान पर गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया था.
बिचौलिया से मरीज के परिजन परेशान
प्राथमिकी तक दर्ज हुई और मुंगेर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के तत्वावधान में आंदोलन तक हुआ था. पर, बाद में मामला शांत हो गया. पिछले दिनों भी एक निजी नर्सिंग होम के तथाकथित संचालक ने अपने गुर्गे के साथ नाइट ड्यूटी में तैनात चिकित्सक के साथ हाथापायी कर दी थी, क्योंकि चिकित्सक का उस नर्सिंग होम में मरीज भेजने का समझौता था और उसने दूसरे नर्सिंग होम में मरीज को भेज दिया था. बुधवार की रात भी बिचौलिया, मरीज और चिकित्सक आपस में भिड़ गये. पुलिस पहुंचने के बाद मामला शांत हुआ था.
बिचौलियों के झांसे में न आएं : सीएस
सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने कहा कि अस्पताल से मरीजों को निजी नर्सिंग होम रेफर नहीं किया जाता है. अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंस नहीं लगाया जाना है. बाहर निजी एंबुलेंस खड़े करनेवालों पर कार्रवाई करने के लिए एसपी से अनुरोध किया जाएगा. यदि वार्डों में बाहरी व्यक्ति रहते हैं, तो सीसीटीवी से उनकी पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सीएस ने लोगों से अपील की है कि वे जागरूक हों और बिचौलियों के झांसे में नहीं आएं.
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