मुंगेर. लंबे समय तक बिना जिला कमेटी के संचालित कांग्रेस पार्टी अब मुंगेर जिले में दलित व मुस्लिम कार्ड के भरोसे अपना आधार तलाश रही है. हाल के दिनों में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दो पुराने कांग्रेसी अशोक पासवान को जहां पार्टी का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया है. वहीं इनामुल हक को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया गया है. अर्थात दलित व मुसलमान को जिला का नेतृत्व सौंप कर पार्टी इन वर्गों को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है. लेकिन लंबे समय से बिहार में जातीय राजनीति के गोलबंदी में ये दोनों वर्ग दूसरे पार्टियों में अपना भविष्य तलाशते रहे हैं. बिहार विधानसभा के चुनावी वर्ष में कांग्रेस पार्टी ने नये सिरे से संगठन को मजबूती प्रदान करने का कार्य प्रारंभ किया है. मुंगेर जिले की स्थिति बड़ा ही सोचनीय रहा है. वर्ष 2018 में जिला कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष सौरभ निधि के जदयू में चले जाने के बाद पार्टी ने अजय कुमार सिंह को प्रभारी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में अजय कुमार सिंह को जमालपुर से अपना प्रत्याशी बनाया और वे विधायक चुने गये. लेकिन विधायक बनने के बावजूद प्रभारी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही रही. इस दौरान जिला कमेटी का गठन भी नहीं हो पाया और कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोग बिना पद के ही इधर-उधर रहे. फलत: पार्टी आम जनता की समस्याओं को लेकर मुखर नहीं हो पायी और क्षेत्र में अपना जनाधार मजबूत करने में भी कारगर नहीं रही. जिसके कारण लंबे समय तक पार्टी का कार्यकलाप आम लोगों से नहीं जुड़ पाया.
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