बढ़ रहे जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की संख्या, डीईआईसी सेंटर में नहीं मिल रही सुविधा

जिले में 90 लाख की लागत से जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्च्चों के लिये बना डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशन सेंटर आरंभ होने के दो माह बाद भी उपकरण के अभाव में उपयोगी नहीं बन पा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 3, 2025 6:34 PM
an image

मुंगेरजिले में जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हलांकि डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशन सेंटर और राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें इलाज के लिये पटना या गुजरात भेजा जा रहा है. लेकिन जिले में 90 लाख की लागत से जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्च्चों के लिये बना डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशन सेंटर आरंभ होने के दो माह बाद भी उपकरण के अभाव में उपयोगी नहीं बन पा रहा है.

जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की बढ़ रही संख्या

जिले में जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसका अंदाजा केवल इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2025 के मात्र दो माह में ही आरबीएसके द्वारा जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित कुल 7 बच्चों की पहचान की गयी है. जबकि तालू कटे अर्थात ओरल क्लेफ्ट के 5 तथा क्लब फूट अर्थात जन्मजात पैर मुड़े 2 बच्चों की पहचान की गयी है. इसके अतिरिक्त जिले में जन्मजात कान की बीमारी अर्थात श्रवण हानि के कुल 12 बच्चों की पहचान साल 2024 में की गयी है. जबकि 2024 में जिले में हृदय रोग से पीड़ित 11, तालू कटे 12 तथा पैर मुड़े कुल 7 बच्चों की पहचान की गयी थी.

90 लाख की लागत से बना डीईआईसी सेंटर अबतक अनुपयोगी

वर्ष 2017 में सरकार द्वारा मुंगेर जिले में आरबीएसके के तहत जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिये डीईआईसी सेंटर बनाने की स्वीकृति दी गयी. जिसके बाद साल 2018 में बीएमआईसीएल द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय के समीप 90 लाख की लागत से डीईआईसी सेंटर का निर्माण आरंभ किया गया. वहीं इसका निर्माण कार्य पूरा होने में 7 साल लग गये. बीएमआईसीएल ने 2024 में इसे स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर कर दिया. वहीं इसे स्वास्थ्य विभाग ने आरंभ भी कर दिया है, लेकिन अबतक यहां जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों को भर्ती करने अथवा उनके काउंसलिंग के लिये बेड या अन्य उपकरण नहीं होने के कारण यह केवल डीईआईसी कार्यालय ही बन कर रह गया है.

आयुष चिकित्सकों के भरोसे जिले में आरबीएसके कार्यक्रम

बता दें कि जिले में जिला मुख्यालय सहित सभी 9 प्रखंडों में आरबीएसके की एक-एक टीम कार्यरत है. जिसमें नियमानुसार तो एक चिकित्सक, एक फर्मासिस्ट और एक एएनएम को होना है. लेकिन जिले में आरबीएस के टीम में आयुष चिकित्सकों के भरोसे चल रही है. हद तो यह है कि जिला मुख्यालय में आरबीएसके टीम सहित कार्यक्रम के मॉनिटरिंग को लेकर जिला कॉडिनेटर तक का पद तक प्रभार में चल रहा है. अब ऐसे में हृदय रोग जैसे गंभीर बीमारियों वाले बच्चों के पहचान और इलाज की जिम्मेदारी जिले में आयुष चिकित्सकों के भरोसे है.

कहते हैं बीएमआईसीएल अधिकारी

बीएमआईसीएल अधिकारी सुमित कुमार ने बताया कि डीईआईसी सेंटर के डीपीआर में केवल भवन निर्माण की स्वीकृति थी. उसके उपकरण के लिये कोई स्वीकृति नहीं थी. भवन निर्माण कर 2024 में ही स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर कर दिया गया है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि डीईआईसी सेंटर में उपकरण की व्यवस्था की जिम्मेदारी क्षेत्रीय कार्यालय की है. जबकि आरबीएसके टीम में चिकित्सक नहीं होने के कारण आयुष चिकित्सकों को लगाया गया है. साथ ही विभाग को इसकी जानकारी दे दी गयी है.

—————————————————-

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की संख्या

साल हृदय रोग से पीड़ित बच्चे

2022 13

2023 14

2025 फरवरी तक 7

जन्मजात तालू कटे बच्चे

साल पीड़ित बच्चे

2022 122023 82024 112025 फरवरी तक 5

पैर मुड़े (क्लब फुट) बच्चे

साल (क्लब फुट) बच्चे

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें

यहां मुंगेर न्यूज़ (Munger News) , मुंगेर हिंदी समाचार (Munger News in Hindi), ताज़ा मुंगेर समाचार (Latest Munger Samachar), मुंगेर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Munger Politics News), मुंगेर एजुकेशन न्यूज़ (Munger Education News), मुंगेर मौसम न्यूज़ (Munger Weather News) और मुंगेर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version