Munger News : मछलियों के लालच में खेतों से नहीं निकलने दे रहे पानी

मुंगेर के टाल क्षेत्र के हजारों एकड़ खेतों में पानी लबालब है. रबी की बुआई पर संकट मंडरा रहा है. किसान खेत से पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं. चिकदह बहियार व शीतलपुर चौर में फंसे बाढ़ के पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है.

By Sugam | October 17, 2024 7:27 PM
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Munger News : मुंगेर. लाखों के मछली कारोबार के चक्कर में हर साल अन्नदाताओं को करोड़ों का नुकसान होता है. हर साल बाढ़ व बारिश का पानी टाल और चौर क्षेत्र से नहीं निकलने के कारण खेतों में रबी फसल की बुआई समय पर नहीं हो पाती है. इतना ही नहीं कभी-कभी तो पिछात खेती से होने वाली क्षति से बचने के लिए किसान खेतों में बुआई ही नहीं करते हैं और खेत बेकार पड़ा रह जाता है. कुल मिला कर कहा जाये तो प्रशासनिक उदासीनता, मछली माफिया और जल निकासी की समुचित इंतजाम नहीं रहने से मुंगेर के किसान परेशान हैं.धरहरा व जमालपुर के टाल क्षेत्र के हजारों एकड़ में फैला है पानी धरहरा व जमालपुर प्रखंड का टाल क्षेत्र तेलहन व दलहन की फसल के लिए मशहूर है. यह सिर्फ मुंगेर ही नहीं, आसपास के जिलों को भी अनाज के मामले में भरा-पूरा रखता है. जबकि हजारों किसानों का परिवार रबी फसल की खेती पर ही आश्रित है. इस बार उनकी खेती काफी पिछात हो जायेगी. क्योंकि बाढ़ का पानी टाल क्षेत्र से आज तक नहीं निकल पाया है. आज भी बाहाचौकी, हेमजापुर, शिवकुंड, सिंघिया, पड़हमबहियार पानी से लबालब भरा हुआ है. जबकि मानगढ़, महरना, इंद्रुख, भलार का टाल क्षेत्र भी डूबा पड़ाहै.

मछली कारोबारी रोक देते हैं पानी निकासी

इस टाल क्षेत्र में खेती करने वाले सुरेश मंडल, कपिलदेव यादव, दशरथ यादव, साजू सिंह, पीयूष सिंह, बिंदेश्वरी महतो, सहदेव यादव, जनार्दन महतो ने कहा कि सरकार डकरा के समीप सैरात की डाक करती है. मछली माफिया डाक लेकर लाखों की मछली के कारोबार के चक्कर में डकरा के समीप पानी की निकासी को रोक देते हैं. इस कारण नवंबर तक खेतों से पानी नहीं निकल पाता और रबी की खेती बुरी तरह से प्रभावित होती है. लाखों के चक्कर में हजारों किसानों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ताहै. जिला प्रशासन चाहे तो इसका निदान तत्काल निकल सकता है. मछली का कारोबार लाखों में होता है और इससे कुछ ही परिवार जुड़ेहैं. जबकि खेती से हजारों किसान परिवार जुड़ेहैं.करोड़ाें का उत्पादन प्रभावित होता है.

सीताकुंड के पास रोक रखा है पानी

सदर प्रखंड में चिकदहबहियारहै. यहां सैकड़ोंएकड़ में खेती होती है. लेकिन जब-जब बाढ़ या भीषण बारिश होती है, तो इस बहियार में खेती नहीं हो पाती है. क्योंकि इस बहियार से पानी ही नहीं निकल पाता है. इस क्षेत्र के किसान पंकज यादव, नंदू मंडल, खैराती मंडल, मो जुम्मन ने बताया कि चिकदहबहियार से पानी निकलने के लिए बड़ा कच्चा नाला बना हुआ है. जो सीधे गंगा से जुड़ाहै. इसी नाले से होकर गंगा का पानी बाढ़ के समय चिकदहबहियार में पहुंचता है. इसी नाले से इस बहियार से पानी निकल कर सीधे गंगा में जाता है. लेकिन मछली कारोबारियों ने सीताकुंड के समीप के नालों से पानी की निकासी रोक दी है. धीरे-धीरे पानी निकलता है. पानी निकलते-निकलते और खेत सुखते-सुखते रबी फसल की बुआई का समय ही खत्म हो जाता है. इस कारण हमलोग मात्र एक ही फसल इस बहियार में उत्पादित कर पाते हैं. अगर पानी समय पर बहियार से निकल जाये तो यहां करोड़ों के अनाज का उत्पादन संभव है.

चौर क्षेत्र में भी जमा रहता है बाढ़ व बारिश का पानी

सदर प्रखंड के बरदह, शीतलपुर, दियारपुरबहियार के सैकड़ोंएकड़ खेती योग्य भूमि में पानी जमा रहने से किसान परेशान रहते हैं. क्योंकि जब भी बाढ़ आती है तब बाढ़ का पानी खेतों में फंसा रह जाता है. अत्यधिक बारिश होने पर भी पानी की निकासी का समुचित व्यवस्था नहीं होने से पानी खेतों में फंसा रह जाता है. इस कारण सैकड़ों एकड़ में खेती नहीं हो पाती है. किसानों की मानें तो इस चौर क्षेत्र से जलनिकासी के लिए सर्वे में नाला है. नाला का जीर्णोद्धार नहीं होने के कारण लोगों ने सर्वे नाला को अपने खेतों में मिला लिया है. अगर सर्वे नाला को बनवा दिया जाये तो इस चौर क्षेत्र में सालों भर खेती होगी. वर्तमान में एक फसल गेहूं, दहलन अथवा तेलहन की खेती ही कर पाते हैं, वह भी पिछात होती है. इस कारण उत्पाद भी प्रभावित होता है. मुंगेर जिले के किसान इस आफत से मुक्ति पानी की आस देख रहे हैं.

होगी जांच : एसडीओ

टाल व चौर क्षेत्र में बाढ़ का पानी जमे होने की सूचना मिली है. आखिर उन क्षेत्रों से जलनिकासी क्यों नहीं हो पा रही है, इसकी जांच करायीजायेगी.
-शैलेंद्र कुमार सिंह, सदर अनुमंडल पदाधिकारी

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