संग्रामपुर . पांच दिनों से पड़ रही तेज धूप व बारिश नहीं हाेने से किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि धान की खेती के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में रोपनी का कार्य बाधित हो रहा है और मॉनसून की बेरूखी से किसान मायूस नजर आ रहे हैं. क्षेत्र में सिंचाई के परंपरागत साधन भी दम तोड़ चुकी है. जिसके कारण किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. किसान विपिन बिहारी सिंह, अवधेश सिंह, राणा यादव, महावीर यादव, गणेश पंडित और शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि एक समय था जब बांध, नहर और डांड़ जैसे परंपरागत संसाधनों से खेतों की पटवन आसानी से हो जाती थी. अब अधिकांश जलस्रोत अतिक्रमण की चपेट में है. इससे हजारों एकड़ जमीन पटवन से वंचित है और खेती भगवान भरोसे रह गई है. किसानों का कहना है कि सरकार जल-जीवन-हरियाली जैसी योजनाओं की बात तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. यदि विभाग अतिक्रमणमुक्त अभियान चलाकर बांध, नहर और डांड़ को पुनर्जीवित कर दे तो खेती को सहारा मिल सकता है. ऐसे में बारिश ही सहारा है. बारिश होगी तो धान की खेती संभव है. वहीं कुछ जागरूक किसान निजी स्तर पर बोरिंग के जरिए पटवन कर खेती को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. किसानों ने सरकार से समय पर राहत और जल स्रोतों की साफ-सफाई कराने की मांग की है. ताकि अन्नदाता को उसकी मेहनत का फल मिल सके.
संबंधित खबर
और खबरें