शहर के टाउन हॉल में ”वक्फ बचाओ, लोकतंत्र बचाओ” आमसभा का किया गया आयोजन
वली फैसल रहमानी ने कहा कि वक्फ प्रणाली केवल मुसलमानों की भलाई नहीं करती, बल्कि पूरी मानवता के कल्याण की एक सशक्त व्यवस्था है. वक्फ की जमीनों पर चलने वाले बीएड कॉलेजों में 80 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी गैर-मुस्लिम हैं. वक्फ अस्पतालों में हजारों मुफ्त नेत्र ऑपरेशन होते हैं. जिनका सबसे अधिक लाभ गैर मुस्लिम समुदाय को मिलता है और गांवों में जिन कुओं से हिंदू-मुस्लिम दोनों पानी पीते हैं, वे भी वक्फ की जमीन पर बने होते हैं. ऐसे में वक्फ संशोधन कानून का लागू होना न केवल मुसलमानों के लिए, बल्कि देश की गंगा-जमुनी तहजीब और सामाजिक सौहार्द के लिए घातक है. इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे गैर मुस्लिम भाइयों को ही होगा. उन्होंने कहा कि यह केवल एक अल्पसंख्यक मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय समाज के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का मामला है. कार्यक्रम के संयोजक आरिफ रहमानी ने कहा कि केंद्र सरकार नए-नए कानून के जरिए परेशान कर रही है, जो गलत है, दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उपसंयोजक जफर अहमद ने कहा कि इस काले कानून को सरकार वापस ले और जानबूझकर अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट कर परेशान करना बंद करें. मौलाना अब्दुल्लाह बुखारी ने कहा कि हुकूमत को इस बात को समझना चाहिए की एक बड़ा तबका इस कानून के खिलाफ है. इस अवसर पर कई राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे.
हाथों में लिये थे तख्तियां
सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हाथों में तख्तियां लिए थे, जिस पर लिखा था वक्फ कानून हमें मंजूर नहीं, हिंदुस्तान जिंदाबाद, हिंदुस्तान का संविधान जिंदाबाद, काला कानून वापस लो. मौके पर हजरत मौलाना जमील अहमद मजाहिरी, मौलाना रागीब रहमानी, मुंगेर नगर निगम के डिप्टी मेयर खालिद हुसैन, शाहीन रजा चिंटू, फैसल अहमद रूमी, शाहब मल्लिक, परवेज चांद, राजद नेता पंकज यादव, प्रमोद यादव, मुफ्ती बरकतुल्लाह कासमी ने वक्फ कानून में संशोधन को लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए इसके खिलाफ एकजुट संघर्ष की अपील की.
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