मुंगेर. लोकसभा और विधानसभा के परिसीमन की व्यवस्था फ्रीज करने के चलते बिहार जैसे राज्यों को काफी क्षति हो रही है. अभी की आबादी के हिसाब से परिसीमन हो तो बिहार में लोकसभा में 40 की जगह 60 सांसद होंगे. इसी तरह विधानसभा की सीट भी बढ़ेगी. इसी को लेकर राष्ट्रीय लोक मोर्चा बिहार में संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार महारैली की शुरूआत 25 मई को रोहतास जिले के विक्रमगंज से करेगी. ये बातें पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु पटेल व प्रदेश महासचिव मनोज कुशवाहा ने मुंगेर परिसदन में सोमवार को पत्रकारों से कही. उन्होंने कहा कि 1971 में परिसीमन के अनुसार सीटों की संख्या 543 की गयी. तब हर सीट पर औसतन आबादी 10.1 लाख थी. परिसीमन का उद्देश्य ही था पूरे देश में एक समान आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण करना, लेकिन मौजूदा समय में यह उद्देश्य पूरी तरह से खारिज हो चुका है, जिससे बिहार को बहुत नुकसान हो रहा है. हमारा संविधान एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य की बात करता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि परिसीमन रोकने के कारण लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या में काफी अंतर हो गया है. औसतन 10 लाख मतदाता मिलकर एक सांसद चुनते हैं, जबकि कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं जहां 30 लाख लोग मिलकर एक सांसद चुन रहे हैं. इससे सभी वर्गों को नुकसान हो रहा है. आपातकाल के इस काले धब्बे को दूर करने के लिए हमारी पार्टी किसी भी सीमा तक जाएगी. पार्टी सुप्रिमो ने इसकी प्राप्ति के लिए 25 मई को रोहतास और 8 जून को मुज्जफरपुर में संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार महारैली का आयोजन किया है. जिसके लिए जनता का समर्थन जरुरी, तभी बिहार को उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल सकेगा.
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