मुंगेर. विद्युत वितरण कंपनी उपभोक्ताओं को आवश्यकता अनुरूप बिजली खर्च करने की सलाह देती है. केंद्र व राज्य सरकार द्वारा बिजली बचाने को लेकर सौर ऊर्जा सहित कई योजना का शुभारंभ किया गया है. जिसे लेकर बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन मुंगेर शहर में लगे हाई मास्ट व स्ट्रीट लाइटें दिन में भी जलती रहती है और हजारों यूनिट बिजली की बर्बादी हो रही है.
दिन में स्ट्रीट लाइट जलने से ऊर्जा की हो रही बर्बादी
मुंगेर नगर निगम में 45 वार्ड है. रात में शहर जगमग होते रहे. इसके लिए शहर में लगभग 11 हजार स्ट्रीट लाइट शहर के मुख्य सड़कों व वार्ड की गलियों में लगाया गया है. करीब 500 स्ट्रीट लाइटें खराब ही रहती है. शेष बचे 10,500 स्ट्रीट लाइट में से आधे स्ट्रीट लाइट दिन में भी जलती रहती है. हाई मास्ट लाइट तो दिन में भी नहीं बुझती है. जानकारों की माने तो एक स्ट्रीट लाइट औसतन 250 वॉट बिजली की खपत करती है. यदि 200 लाइटें भी दिन में पांच घंटे जलती है, तो हर दिन 250 से 300 यूनिट बिजली का दुरुपयोग होता है. इस अनुपात में आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है कि शहर में दिन में जितनी स्ट्रीट लाइट जलती रहती है, उसे कितना ऊर्जा की बर्बादी हो रही है. इससे न केवल विभाग को राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि ऊर्जा संकट की आशंका भी बनी रहती है.
जिम्मेदारों के साथ ही जनता भी भूल गये अपना दायित्व
कहते हैं जानकार
विद्युत विशेषज्ञों की माने तो स्ट्रीट लाइटों की टाइमिंग को कंट्रोल पैनल से ऑटोमेटिक नियंत्रित किया जा सकता है. इसलिए शहर में लगे स्ट्रीट लाइटों की टाइमिंग को कंट्रोल पैनल लगा कर उसके माध्यम से नियंत्रित किया जाना चाहिए. अगर यह तत्काल संभव नहीं है तो जहां भी स्ट्रीट लाइट लगी है, वहां स्विच सिस्टम से वार्ड पार्षदों को जिम्मेदारी दी जाय कि हर मुहल्ले में इसे बुझाने के लिए दो-तीन शहरवासियों को शाम में स्वीच ऑन करने व सुबह में स्वीच बंद करने की जिम्मेदारी दे. ताकि फालतू में ऊर्जा की बर्बादी को रोका जा सके.बिजली बचाओ का नारा खुद विभाग ही भूला
मुंगेर. स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ बिजली की अनावश्यक कटौती से आमजन परेशान है. वहीं जिम्मेदार दिन में स्ट्रीट लाइटें जलाकर खुल्लमखुल्ला बिजली की बर्बादी कर रहा है. दिन में स्ट्रीट लाइटें जलने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन हजारों-लाखों रूपये की बिजली सिर्फ जिम्मेदारों की लापरवाही से बर्बाद हो रही है. जबकि ऊर्जा बचाने को लेकर विद्युत विभाग बिजली बचाओ का नारा देते है और खुद इस नारा को भूल जाते है.
कहते हैं सिटी मैनेजर
कहते हैं सहायक विद्युत अभियंता
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