अब विदेशों में भी छाएगा बिहार का स्वाद: सिलाव का खाजा 10 देशों में होगा एक्सपोर्ट, जानें किस देश में कितना होगा रेट

Silao Ka Khaja: बिहार के नालंदा जिले के सिलाव में तैयार होने वाला प्रसिद्ध खाजा अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी मिठास फैलाएगा. जीआई टैग प्राप्त इस पारंपरिक मिठाई को अब पोस्ट ऑफिस के जरिए दुनिया के 10 प्रमुख देशों में भेजा जाएगा, जिससे इसे वैश्विक पहचान मिलने का रास्ता खुल गया है.

By Abhinandan Pandey | May 22, 2025 8:49 AM
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Silao Ka Khaja: बिहार के नालंदा जिले के सिलाव में बनने वाला प्रसिद्ध खाजा अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी मिठास फैलाने को तैयार है. भारत सरकार ने इसे विदेश भेजने के लिए हरी झंडी दे दी है. जीआई टैग प्राप्त इस परंपरागत बिहारी मिठाई को अब पोस्ट ऑफिस के माध्यम से दुनिया के 10 प्रमुख देशों में भेजा जा सकेगा.

पटना में हुआ ऐतिहासिक ऐलान

पटना के ज्ञान भवन में आयोजित ‘जीआई टैग प्राप्त बिहारी व्यंजनों के अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन 2025’ में इस ऐलान ने सबका ध्यान खींचा. इसमें ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा, सिंगापुर, लंदन, अमेरिका, रूस और अफ्रीका जैसे देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इन देशों के व्यापारियों ने सिलाव के खाजा को अपने बाजार में उतारने में गहरी रुचि दिखाई.

इस मौके पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान और बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने इसे बिहार की सांस्कृतिक विरासत की जीत बताया. उन्होंने कहा कि अब देश का यह खास व्यंजन अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करेगा.

गुणवत्ता बनी रहेगी बरकरार

खाजा कारोबारी संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि विदेशों में सिर्फ शुद्ध देसी घी और गुड़ से तैयार किया गया खाजा ही भेजा जाएगा. इससे न केवल स्वाद, बल्कि इसकी पारंपरिक पहचान और गुणवत्ता बनी रहेगी. उन्होंने बताया कि खाजा को विदेशों में ‘प्रीमियम प्रोडक्ट’ के तौर पर बेचा जाएगा और हर देश के लिए इसकी कीमत अलग निर्धारित की गई है.

  • कनाडा और अफ्रीका: ₹6,500 प्रति किलो
  • लंदन और ऑस्ट्रेलिया: ₹5,100 प्रति किलो
  • दुबई: ₹4,500 प्रति किलो

ऑनलाइन से अब ऑफिशियल निर्यात तक

अब तक सिलाव का खाजा अमेरिका, कनाडा, लंदन, अफ्रीका, दुबई और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में केवल ऑनलाइन ऑर्डर पर ही सीमित था. लेकिन अब सरकार की पहल और इंडिया पोस्ट की साझेदारी से यह मिठाई नियमित रूप से विदेशों तक पहुंचेगी. बिहार के लिए यह कदम न सिर्फ आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाएगा, बल्कि राज्य के परंपरागत व्यंजनों को वैश्विक मंच पर सम्मान भी दिलाएगा.

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