
संवाददाता, पटना
विलुप्त हो रही पटना कलम पेंटिंग्स शैली को संजीवनी देने की दिशा में महिला कलाकारों की भूमिका को सराहनीय बताते हुए एक सप्ताह का प्रशिक्षण शिविर का समापन रविवार को हुआ. इंटैक, पटना चैप्टर, योर हेरिटेज व अर्चना कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस शिविर में 32 कलाकारों को प्रमाणपत्र प्रदान किये गये. बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण की संयुक्त सचिव गायत्री देवी ने कहा कि पटना कलम की परंपरा को महिलाओं ने जीवित रखा है. उन्होंने दक्षो बाई और सोना देवी जैसे नामचीन कलाकारों को याद किया. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के प्रो अजय प्रताप सिंह ने पेंटिंग्स में ज्यामितीय संरचना पर जोर दिया.
एम्स पटना के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अश्विनी कुमार ने कलाकारों के लिए योग, मुद्रा और ध्यान का अभ्यास कराते हुए कहा कि आगामी सेमिनारों में अतिथियों को पटना कलम की पेंटिंग्स ही भेंट की जाएगी. दिल्ली विश्वविद्यालय की नेहा सिंह ने पीपीटी के माध्यम से पटना कलम की बारीकियों से परिचय कराया. अर्चना कला केंद्र की बेबी अर्चना ने पटना कलम की वर्तमान स्थिति पर चिंता जतायी. वहीं, इंटैक संयोजक भैरव लाल दास ने इसके अभ्यास में धैर्य और लगन की जरूरत बतायी. उन्होंने कहा कि ढाई सौ वर्ष पुरानी इस शैली के साथ पटना का भावनात्मक संबंध है. योर हेरिटेज की निदेशक रचना प्रियदर्शिनी ने आश्वासन दिया कि पटना कलम पेंटिंग्स खरीदने के लिए बिहार म्यूजियम, खादी मॉल और दिल्ली के बिहार इंपोरियम जैसी संस्था के साथ निबंधन हो चुका है. कलाकारों को पर्यटन विभाग के जन संपर्क अधिकारी रविशंकर उपाध्याय, क्रोशिया कला की वरिष्ठ कलाकार विभा श्रीवास्तव और प्रशिक्षक रुपेश कुमार ने भी संबोधित किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है