दुधारू पशुओं की लगातार हो रही मौत, पशुपालक परेशान

लंपी स्किन नामक बीमारी पशुओं में होने से इन दिनों क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर दुधारू गाय भैंस बकरी की लगातार मौत का सिलसिला जारी है.

By Dipankar Shriwastaw | July 19, 2025 6:25 PM
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पशुओं में फैल रही लंपी स्किन नामक बीमारी

दर्जनों पशुपालकों ने पशु चिकित्सा पदाधिकारी से मिल कर की ठोस कदम उठाने की मांग

पतरघट. लंपी स्किन नामक बीमारी पशुओं में होने से इन दिनों क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर दुधारू गाय भैंस बकरी की लगातार मौत का सिलसिला जारी है. पशुओं में इस तरह की बीमारी के रोकथाम के लिए पशु चिकित्सालय में उपलब्ध संसाधन से चिकित्सक के द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. लेकिन उनका यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है. जिससे दिन प्रतिदिन मवेशी की मौत की संख्या बढ़ती जा रही है. मवेशी की लगातार मौत से क्षेत्र के पशुपालकों में काफी निराशा व्याप्त है. पशुओं की लगातार हो रही मौत की रोकथाम के लिए दर्जनों पशुपालकों ने शनिवार को पशु चिकित्सा पदाधिकारी से उनके कार्यालय वेश्म में मिलकर ठोस तथा त्वरित कदम उठाए जाने की मांग की है. इस दौरान पशुपालकों ने लंपी स्किन डिजीज नामक बीमारी से बचाव को लेकर टीका व दवा के संबंध में चिकित्सक से विस्तृत जानकारी लेते हुए कहा कि इस तरह की बीमारी के लक्षण में पहले पशु को बुखार आता हैं. फिर तापमान काफी बढ़ जाता है. जिसके बाद पूरे शरीर दाग जैसा निशान होने लगता है. पशुओं में इस तरह की बीमारी खासतौर पर क्षेत्र के धबौली पूर्वीं, धबौली दक्षिणी, धबौली पश्चिमी, पस्तपार,पामा, किशनपुर, कहरा विशनपुर, कमलजडी, कपसिया, पतरघट, सहित अन्य जगहों पर देखी जा रही है, इस बाबत पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बिनोद कुमार ने बताया कि इस तरह की बीमारी की रोकथाम के लिए विभागीय स्तर से बीते 15 जुलाई से क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिस मवेशी को इस तरह की बीमारी हुई है. उसे अन्य मवेशी से दूर रखना चाहिए. ताकि इस तरह की बीमारी का फैलाव किसी दूसरे मवेशी को नहीं हो. उन्होंने बताया कि यह एक वायरल बीमारी है. जो तेज गति से दूसरे मवेशी को अपने चपेट में ले लेता है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बीमारी की रोकथाम के लिए हमारे पशु चिकित्सालय में वैक्सीन एवं दवा उपलब्ध है. हम लोगों को जहां से जानकारी मिलती हैं. वहां हम लोग उपलब्ध संसाधन से बेहतर सेवा देने का हरसंभव प्रयास करते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ पशुपालक सरकारी अस्पताल में अपने मवेशी का इलाज करवा रहे हैं, जबकि कुछ पशुपालक निजी स्तर से निजी चिकित्सक से परामर्श कर अपने मवेशी का इलाज करवा रहे हैं.

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