Saharsa News : करोड़ों के मॉडल अस्पताल में बेकार पड़ा है आइसीयू

सहरसा के मॉडल अस्पताल के आइसीयू में तकनीशियन नहीं होने की वजह से गंभीर मरीजों का इलाज नहीं किया जाता. वार्ड का सामान्य इस्तेमाल होता है. यहां नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगा प्रबंधन कोरम पूरा कर रहा है.

By Sugam | October 14, 2024 7:03 PM
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Saharsa News : सहरसा. करोड़ों के मॉडल अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मिलनी चाहिए थी. लेकिन गंभीर मरीजों की देखभाल के लिए बना पांच बेड का महिला आइसीयू व पांच बेड का बंद पुरुष आइसीयू इलाज नहीं दे पा रहा है. मॉडल अस्पताल में नाम के लिए ही आइसीयू संचालित है. यहां कोरोना काल के बाद से आज तक आइसीयू को संचालित करने के लिए कोई भी ट्रेंड तकनीशियन पदस्थापित नहीं किया गया है, जो आइसीयू की मशीनों को मरीजों के लिए बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सके. फिलहाल आइसीयू का इस्तेमाल सामान्य वार्ड की तरह सामान्य बीमारी वाले मरीजों को ही रखने के लिए किया जा रहा है. जबकि आइसीयू में सिर्फ गंभीर स्थिति या गंभीर बीमारी वाले मरीज को कुशल तकनीशियन की देखरेख में रखने का प्रावधान है. जहां अत्यधिक आवश्यकता होने पर ही मरीज के परिजन मरीज के पास जा सकते हैं. लेकिन यहां ऐसा नहीं है.

गंभीर मरीज कर दिये जाते हैं रेफर

आइसीयू में मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए हर एक बेड के साथ एडवांस टेक्नोलॉजी की मशीनें लगी हैं. ताकि गंभीर मरीज की हर गतिविधि को मॉनिटर किया जा सके. लेकिन आइसीयू की मशीनों की मॉनिटरिंग कोई उच्च प्रशिक्षण प्राप्त तकनीशियन ही कर सकता है. लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी ऐसे तकनीशियन की नियुक्ति तक नहीं की जा सकी है. इस कारण करोड़ों के अत्याधुनिक अस्पताल में गंभीर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाता है. डॉक्टर गंभीर मरीज को बिना समय गंवाए कोई भी सरकारी हायर सेंटर रेफर कर देते हैं. वहीं मॉडल अस्पताल के आइसीयू में लगी लाखों-करोड़ों की महंगी मशीनें बिना इस्तेमाल के शोभा की वस्तु बनी हुई है.आइसीयू का इस्तेमाल सामान्य वार्ड की तरह मरीज को ऑक्सीजन मास्क लगाने तक ही सीमित है.

पुरुष आइसीयू में लगा रहता है ताला

दो वर्गों में बंटे आइसीयू में महिला आइसीयू को खोलकर रखा तो जाता है. लेकिन पुरुष आइसीयू वार्ड को उद्घाटन के बाद से मरीजों के लिए आज तक खोला भी नहीं गया. जबकि उद्घाटन के लगभग एक वर्ष नौ माह बीत चुके हैं. वहीं महिला आइसीयू वार्ड को रोजाना खोला जाता है. कभी-कभार सामान्य मरीजों को रखकर खानापूर्ति कर ली जाती है.

आइसीयू में नर्सिंग स्टाफ की रहती है ड्यूटी

बिना मरीज वाले आइसीयू में नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी रोजाना लगती है. लेकिन वह भी पूरी तरह से खाली बैठकर अपना समय व्यतीत करते हैं. पूछने पर ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टाफ संजीव कुमार कहते हैं कि बिना तकनीशियन के आइसीयू किसी काम का नहीं. यहां आज तक किसी भी आइसीयू तकनीशियन की बहाली नहीं की गयी है. इस कारण यहां गंभीर मरीजों को नहीं, सिर्फ सामान्य मरीज को ही कभी कभार भर्ती कर दिया जाता है. जबकि सही मायने में कहा जाये तो आइसीयू पूरी तरह से खाली ही रहता है. बिना इस्तेमाल के मशीन भी बंद रहकर बेकार हो जायेगी.

आइसीयू के शौचालय में एक बूंद पानी नहीं

आइसीयू के बगल में बने शौचालय में एक बूंद पानी की सुविधा नहीं है. खबर संकलन के दौरान मौजूद नर्सिंग स्टाफ से शौचालय की सुविधा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शौचालय तो है, लेकिन उसमें एक बूंद पानी नहीं आता है. इस कारण कमोड लगे दोनों शौचालय पूरी तरह से गंदे हैं. बदबू देते हैं. हाथ धोने के लिए भी एक बूंद पानी नहीं रहता है. काफी समस्या होती है.

कहते हैं सिविल सर्जन

कोरोना काल में जो तकनीशियन ट्रेंड हुए थे, उन्हीं से काम लिया जा रहा है. सरकार की तरफ से जब हमें प्रॉपर आइसीयू तकनीशियन उपलब्ध हो जायेगा, तो इसे हटाकर हम उससे काम लेंगे.
-डॉ कात्यायनी मिश्रा, सिविल सर्जन, सहरसा

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