Holi 2025: बिहार के सहरसा जिले में बनगांव की होली बेहद खास होती है. बुधवार को कला एवं संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन के द्वारा संयुक्त रुप से तीन दिवसीय बनगांव होली महोत्सव की शुरुआत हुई. बनगांव की होली को मिथिला के भाईचारे की संस्कृति का मिसाल कहा जाता है. बनगांव की होली ब्रज की होली की तरह ही प्रसिद्ध है. इसे राजकीय दर्जा दिया गया है.
बनगांव महोत्सव की शुरुआत
बनगांव में होली महोत्सव के उद्घाटन पर पहुंचे स्थानीय विधायक डॉ. आलोक रंजन ने कहा कि बनगांव की होली ब्रज की होली के तरह प्रसिद्ध है. उन्होंने कहा कि यहां की होली आपसी भाईचारा और सर्वधर्म सद्भाव का उदाहरण है. जिसके कारण इसे राजकीय दर्जा मिला है.
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हर्ष और उल्लास से मनाएं रंगों का त्योहार
— Alok Ranjan (@dralokranjanbjp) March 12, 2025
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन, सहरसा द्वारा आयोजित बनगांव होली महोत्सव का आज दीप प्रज्वलन करके शुभारंभ किया। इसके उपरांत उपस्थितजन को रंगों के पावन उत्सव की अग्रिम शुभकामनाएं दीं। होली का त्योहार सभी के जीवन… pic.twitter.com/Rg7vr2NRcV
डीएम ने बनगांव महोत्सव के बारे में कहा…
कार्यक्रम के दौरान सहरसा के डीएम वैभव चौधरी ने कहा कि महोत्सव का मुख्य उद्देश्य अपने संस्कृति को संरक्षित करके आने वाली नयी पीढ़ियों को अपनी संस्कृति के बारे में बताना है. जिससे कालांतर में भी अपनी संस्कृति सुरक्षित रह सके.
#सहरसा #बनगांव_की_होली की इस परंपरा में गांव के ग्रामीण भगवती स्थान मंदिर पर एकत्र होकर मानव पिरामिड बनाते हैं। इसमें सभी जाति और धर्म के लोग एक दूसरे के कंधे पर सवार होते हैं । इसके बाद शुरु होता है रंगों की बौछार का सिलसिला। pic.twitter.com/3uQp4NwDSZ
— आकाशवाणी समाचार, पटना (@airnews_patna) March 4, 2021
बनगांव होली बन गया देश में भाईचारे का प्रतीक
बनगांव की होली के बारे में बताया जाता है कि 18वीं सदी में परमहंस संत लक्ष्मीनाथ गोस्वामी के द्वारा बनगांव में कृष्ण जन्माष्टमी और होली पर्व को एक आदर्श के रूप में मनाया जाता है. जिसके कारण मिथिला सहित देशभर में यह पर्व सामाजिक भाईचारे के रूप में फेमस हो गया. बनगांव में रह रहे सभी धर्मों एवं वर्गों के लोगों के द्वारा परमहंस संत लक्ष्मीनाथ गोस्वामी के आदर्शो का पालन किया जाता है और एक दूसरे के दरवाजे पर एक झुंड बनाकर सभी जाते हैं और होली मनाते हैं. जिसे घुमौर होली के रूप मे देखा जाता है.
#सहरसा के कहरा प्रखंड के बनगाँव में मनाई जाने वाली घमौर होली
— DD News Bihar | डीडी न्यूज बिहार (@ddnewsBihar) March 7, 2023
"ब्रज की होली की जैसी बेमिसाल है बनगाँव की घुमौर होली"
🎨🎨यहाँ की होली सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है ,बाबा लक्ष्मी नाथ गोसाई द्वारा स्थापित सभी जाति धर्म के लोग बगैर राग द्वेष के एक साथ होली खेलते है pic.twitter.com/feaEl4Etxs
दूर-दराज से आते हैं लोग, बनगांव की होली को राजकीय दर्जा मिला
अपनी इसी प्रसिद्धि के कारण ही हर साल बनगांव होली मनाने और देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश विदेशों के भी की राजनेता और प्रसिद्ध लोग आते रहते हैं. बनगांव होली की महत्ता को देखकर ही तत्कालीन कला एवं संस्कृति विभाग के मंत्री डॉ. आलोक रंजन ने बनगांव की होली को राजकीय दर्जा दिलवाया था और बनगांव होली महोत्सव की शुरुआत की गयी थी.