सहरसा. किलकारी बिहार बाल भवन में चक धूम धूम समर कैंप चल रहा है. प्रतिदिन बच्चे छह सौ से सात सौ की संख्या में बाल भवन आकर अलग-अलग विधा के विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. फन गेम के माध्यम से खूब मनोरंजन कर रहे हैं. इस आयोजन के दौरान बुधवार को चित्रकला विधा के विशेषज्ञ दिनेश कुमार के आठ दिवसीय छापा कला कार्यशाला का समापन किया गया. उन्होंने कहा कि छापा कला का इतिहास काफी लंबा और विविध है. यह कला प्राचीन समय से ही अस्तित्व में है. लेकिन इसके विकास में कई महत्वपूर्ण चरण आये हैं. जिसमें वुडकट, लिनो, इंटैग्लियो, लिथोग्राफी, आधुनिक मुद्रण तकनीकें प्राचीन चीन, भारत, मिस्र में कपड़ों की छपाई रंगाई का प्रयोग होता था. शुरुआती छपाई तकनीकों में लकड़ी या पत्थर को डिजाइन करने एवं फिर उसे कपड़े पर प्रिंट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. छापा कला ने इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चाहे वह ज्ञान का प्रसार हो या कलात्मक अभिव्यक्ति. यह कला समय के साथ विकसित हुई एवं आज भी इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है. चक धूम धूम समर कैंप कार्यशाला में चित्रकला एवं हस्तकला विधा में छापा कला के विशेषज्ञ दिनेश कुमार ने चार जून से 11 जून तक आठ दिवसीय कार्यशाला का संचालन किया. उन्होंने छापा कला की सैद्धांतिक जानकारी, छापा कला का इतिहास सहित अन्य कई कलाओं के बारे में भी जानकारी दी. कार्यशाला में चित्रकला एवं हस्तकला दोनों विधा के बच्चे सम्मिलित हुए. साथ ही छोटे बच्चों को अपने सपनों का स्कूल ड्रा करने का अवसर प्राप्त हुआ. यह पल चित्रकला व हस्तकला के बच्चों के लिए काफी खास रहा. इस कार्यशाला को सफल बनाने में हस्तकला एवं चित्रकला प्रशिक्षक, प्रशिक्षिका व बाल सहयोगी विकास भारती, अन्नू गुप्ता, आयुष राज का सराहनीय सहयोग रहा. साथ ही इस विधा के बच्चों ने भी भरपूर सहयोग दिया. प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक प्रणव भारती, एपीओ मधु कुमारी, सीआरपी सोनम कुमारी, एएओ विश्वविजय झा, चित्रकला व हस्तकला विधा के प्रशिक्षक की उपस्थिति में दिनेश कुमार को अंगवस्त्र एवं बच्चों द्वारा तैयार किया गया फोटो फ्रेम देकर सम्मानित किया गया.
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