बच्चों ने किया सम्मानित, की जानकारी इकट्ठा सहरसा . किलकारी बिहार बाल भवन में बच्चों के सृजनात्मक विकास के लिए निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. पिछले आठ जुलाई को किलकारी बिहार बाल भवन में विश्व भारती निकेतन से हिंदी सहित्य से स्नातक कर रहे दो छात्रों ललन कुमार व राहुल कुमार टुडू को इंटर्नशिप के लिए भेजा गया. विश्व भारती हिंदी साहित्य के तहत वहां के स्नातक के पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप को जोड़ा गया है. जिससे स्नातक के अध्ययनरत सभी छात्रों को अपने विषयानुसार इंटर्नशिप करना अनिवार्य है. यह किलकारी बिहार बाल भवन के लिए सौभाग्य है कि इस इंटर्नशिप के लिए उन्होंने बिहार के सभी प्रमंडल में संचालित बाल भवन का चयन किया. जिसके तहत वहां से बिहार के सभी किलकारी बाल भवन में दो-दो छात्रों को भेजा गया. जिससे वे इस इंटर्नशिप से संबंधित सहरसा बाल भवन व उसका क्षेत्रिय संस्कृति के संरक्षण में योगदान, बाल भवन के गतिविधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना व उनसे लाभान्वित बच्चों के सौंदर्य का कहानी के रूप में संकलन, क्षेत्रीय संस्कृति का बाल भवन पर प्रभाव तथा स्थानीय नागरिकों से बाल भवन का संबंध, पंचगछिया संगीत घराने व स्थानीय संस्कृति, बाल भवन के बच्चों को सींच-संवार कर स्नेह से उनका विकास करने वाले के बारे में जानकारी प्राप्त कर इंटर्नशिप की कॉपी विभाग को प्रस्तुत कर सके. विश्व भारती निकेतन जिसे विश्व भारती विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है. जो पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में स्थित एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है. इसकी स्थापना 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी व 1951 में इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया. यह विश्वविद्यालय शिक्षा, कला, संस्कृति व मानविकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संस्थान है. सर्वप्रथम उन दोनों छात्रों का स्वागत किलकारी के बच्चों द्वारा तिलक लगाकर तथा हस्तनिर्मित पुष्प गुच्छ देकर की गयी एवं दीप प्रज्ज्वलन कर उन्होंने अपने इंटर्नशिप की प्रकिया को प्रारंभ किया. इस दौरान उनका परिचय किलकारी के सभी सदस्यों से हुआ. साथ ही उन्होंने अपना परिचय व अनुभव भी साझा किया. फिर उन्होंने बाल भवन के सभी कक्षा में बारी बारी से जाकर बच्चों तथा प्रशिक्षकों से बाल भवन में चल रहे प्रशिक्षण प्रणाली की जानकारी प्राप्त की. फिर उनकी बात कार्यालय के सभी कर्मियों से हुई. जिस दौरान उन्हें किलकारी सहरसा के प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक प्रणव भारती के माध्यम से पंचगछिया घराने शैली पर चल रहे शोध कार्यों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करने की. दोनों छात्रों को भेंट स्वरूप बच्चों द्वारा बनाई गयी फोटो फ्रेम देकर विदा किया गया.
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