Samastipur News:विद्यापतिनगर : शुभारंभ दर्द भरा हो तो समापन का कयास लाजमी है. विद्यापतिधाम का श्रावणी मेला यहां की सांस्कृतिक धरोहर कही जाती है. हर वर्ष यह आस्था के क्षेत्र में भक्तिभाव को ऊंचाई प्रदान किया है. इस वर्ष यह मेला अपने प्रारंभिक काल में उदासीनता को दर्शा रहा है. मेला को लेकर स्थानीय तौर पर प्रशासनिक भरोसा फिलवक्त एक छलावा साबित हुआ है. यह सावन की पहली सोमवारी को दिखाई पड़ा. मंदिर जाने वाले अतिक्रमण से कराहती सड़कें. इन पर नाश्ते वाली दुकानों के जूठन का फैलाव, जलाभिषेक के लिए कतारबद्ध व्यवस्था का न होना, मंदिर परिसर में जूते-चप्पलों की भरमार, परिसर में गंदगियों का अंबार और गर्भगृह में नास्तिकों की मौजूदगी. यह सब श्रद्धालुओं को असहनीय पीड़ा पहुंचने के लिए काफी थे. इस वर्ष श्रावणी मेला सहित जलाभिषेक की कमान एक तेजतर्रार अनुमंडल अधिकारी के जिम्मे था. चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था को लेकर अनुमंडल अधिकारी किशन कुमार ने पूर्व में बैठक कर इस धार्मिक आयोजन को भली भांति पूर्ण किये जाने का भरोसा जताया था. पर जिनके कार्यकाल की प्रशंसा की जा रही है उनके आदेश को अमलीजामा पहनाने में अधिकारी व कर्मी क्यों उदासीन हुए, यह विचारणीय है. कहा जा रहा है कि जिस भक्तिभाव के सारथी बने थे किशन कुमार, वहां तथाकथित अराजक तत्वों की उपस्थिति ने श्रद्धालुओं को असह्य पीड़ा में डूबो दिया. कथित तौर पर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से जलाभिषेक के दौरान आधे दर्जन महिलाओं का मंगलसूत्र, जितिया, कान की बाली, गले का चेन, कई पुरुष श्रद्धालुओं की जेब से महंगे मोबाइल फोन चैन स्नेचरों ने उड़ा लिये. ऐसे पीड़ित श्रद्धालुओं ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा न्याय की गुहार लगाई है. वहीं कइयों ने अपनी सुरक्षा स्वयं न कर पाने का रोना रोकर चोरी या छिनतई हुए सामानों से संतोष जता अपने घर का रुख किया है.
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