Samastipur News:समस्तीपुर : नगर पंचायत मुसरीघरारी कार्यालय और शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक को निलंबित करने के तीन माह बाद भी आरोप तय नहीं करने पर प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं. जहां कार्यपालक पदाधिकारी शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर खानापूर्ति कर रहा है. वहीं शिक्षा विभाग अनदेखी कर अपना पल्ला झाड़ लिया है. ऐसे में निलंबित शिक्षक विभागीय पदाधिकारी के यहां न्याय की गुहार लगा रहे हैं. बताते चलें कि उवि बथुआ बुजुर्ग में तत्कालीन प्रभारी एचएम के कार्यशैली और गबन के खिलाफ अभिभावक द्वारा शिकायत किये जाने के बाद प्रभारी एचएम ने विद्यालय के शिक्षक सरोज कुमार झा के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई किये जाने को लेकर वरीय पदाधिकारी को ध्यान आकृष्ट कराया. इस पर तत्कालीन डीपीओ माध्यमिक ने एकतरफा व प्रभारी एचएम के पक्ष में अपने ही डीपीओ एमडीएम के जांच को पलटते हुए रिपोर्ट डीईओ को समर्पित किया. जिसके आधार पर डीईओ ने डीपीओ एमडीएम जांच को दरकिनार कर एकतरफा विद्यालय के शिक्षक सरोज झा को निलंबित करने की अनुशंसा की. जिस पर कार्यपालक पदाधिकारी नप मुसरीघरारी ने सरोज कुमार झा को निलंबित कर दिया. निलंबन के पूर्व ना तो द्वितीय स्पष्टीकरण किया गया और न ही निलंबन की प्रक्रिया पूरी की गयी. निलंबन के तीन माह बीत जाने के बाद भी सरोज झा के विरुद्ध अभी तक ना तो प्रपत्र क गठित किया गया और न ही जांच व संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया. सूत्रों की मानें तो कार्यपालक पदाधिकारी ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अध्यारोपित आरोप व जांच व संचालन पदाधिकारी नियुक्त करने को पत्र लिखा. जिस पर जिला शिक्षा विभाग कार्यालय द्वारा अभी तक कोई भी संज्ञान नहीं लिया गया. निलंबित शिक्षक सरोज कुमार झा का कहना है कि निलंबित अवधि में वेतनादि नहीं मिलने से परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है. परिवार में आर्थिक तंगी से मानसिक तनाव के कारण अप्रिय घटना घटित होने की संभावना बनी रहती है. जबकि लगाये गये आरोपी बेबुनियाद है. तत्कालीन प्रभारी एचएम द्वारा दुर्भावना से प्रेरित होकर किया गया है. जांच को पहुंचे तत्कालीन डीपीओ नरेंद्र कुमार सिंह द्वारा मेरे विरुद्ध एकतरफा और एकपक्षीय कार्रवाई की अनुशंसा मेरी अनुपस्थिति और बिना मेरे पक्ष को जाने किया जाना प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है. जानकारों की माने तो सामान्य प्रशासन विभाग के जारी गाइडलाइन के अनुसार निलंबन के साथ ही प्रपत्र क गठित करते हुए जांच व संचालन पदाधिकारी नियुक्त कर कार्रवाई प्रारम्भ किया जाना होता है. लेकिन इस मामले में तीन माह बीत जाने के बाद भी कार्रवाई प्रारम्भ नहीं होना गलत है. देखना है कि इस मामले में शिक्षा विभाग क्या निर्णय लेती है. वहीं निलंबित शिक्षक ने विभागीय अफसरशाही के विरुद्ध न्यायालय और मानवाधिकार आयोग में वाद दायर कर दिया है.
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