Agriculture university news from Samastipur:खेतों में मुरझा रहे धान के बिचड़े, किसान परेशान

धान की खेती पर एक बार फिर मौसम की मार पड़ रही है. खेती की ताक पर मानसून धोखा गया.

By GIRIJA NANDAN SHARMA | July 12, 2025 6:14 PM
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Agriculture university news from Samastipur:समस्तीपुर : धान की खेती पर एक बार फिर मौसम की मार पड़ रही है. खेती की ताक पर मानसून धोखा गया. नतीजा जून में औसत वर्षापात से 69 प्रतिशत कम बारिश हुई, वहीं जुलाई में औसत वर्षापात से 82 प्रतिशत कम बारिश हुई है. ऐसे में किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं. किसानों ने बारिश की उम्मीद पर धान की रोपाई के लिये पटवन का कर धान का बिचड़ा गया था. लेकिन अब उनका बिचड़ा खेतों में मुरझाने लगे हैं. कुछ किसान महंगे डीजल से पटवन कर धान की रोपाई किये थे. लेकिन अब बारिश नहीं होने से वे भी निराश है. किसानों का कहना है कि महंगे डीजल से सिंचाई कर धान की खेती करना फायदेमंद नहीं है. किसान खेतों की जुताई कर बारिश के इंतजार में है. अच्छी बारिश के बाद ही धान की रोपाई संभव है. किसानों का कहना है कि धान की रोपाई के लिये खेतों में कदवा करना होता है, जो हल्की बारिश से संभव नहीं है. इधर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केन्द्र के मुताबिक फिलहाल अच्छी बारिश की संभावना नहीं है. ऐसे में मौसम वैज्ञानिक ने किसानों को ऊंचास जमीन में धान की फसल नहीं लगाने की सलाह दी है. वैज्ञानिक ने कहा कि किसान निचली जमीन में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने पर कम व मध्यम अवधि वाले धान की किस्म लगा सकते हैं. धान में उर्वरक का उपयोग मिट्टी जांच के आधार पर ही करें. अगर मिट्टी जांच नहीं हुई हो तो मध्यम अवधि की किस्मों के लिये 30 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फुर तथा 30 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर चिलिटेड जिंक का व्यवहार करें. 15 जुलाई तक मानसून सक्रिय नहीं होने पर किसान लंबी अवधि वाले धान की किस्में नहीं रोपें. वैज्ञानिक ने कमजोर मानसून को देखते हुये ऊंचास जमीन में धान की जगह सूर्यमुखी, मक्का, तिल, अरहर की आदि खेती करने की सलाह दी है. खरीफ मक्का की युआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेन्द्र संकर मक्का-3, मंगा-11 किस्मों की बोआई अतिशीघ्र संपन्न करें. खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर की सही खाद. 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाश का व्यवहार करें. इसके लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारित कर बोआई करें. बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें.

– वैज्ञानिक ने कहा किसान ऊंचास जमीन में लगाये अन्य फसलें

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