Samastipur: समस्तीपुर. अपनी वाणी व सहज अंदाज से लोगों के दिलों को जीतने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर आज भी जन-जन के दिलों में रचे-बसे हैं. उन्हें भारत रत्न दिये जाने से उनको नजदीक से जानने वाले अभिभूत हैं. शहर से सटे कर्पूरीग्राम में जन्म लेकर इसी मिट्टी में पले-पढे़ व बढ़ते हुए राजनीतिक फलक पर छाने वाले कर्पूरी ठाकुर ने गरीबी को नजदीक से देखा था. यही वजह थी कि वह सदैव ऐसे ही लोगों की आवाज बनते थे. उनके भाषण को सुननेवाले बुजुर्ग कहते हैं कि जब वह माइक पर बोलना शुरू करते थे, तो धीरे-धीरे भीड़ जुटने लगती थी. मोरवा गांव की बेटी और मुजौना गांव की बहू 80 वर्षीया निर्मला देवी बताती हैं कि जब वह छोटी थीं, तो उनके पिता गिरधर झा के घर भी वे आया करते. बड़ी सादगी से मिलते. बोरी पर भी बैठने में संकोच नहीं करते. घंटों समाज व देश की दशा-दिशा पर बातें करते. उनकी बातचीत सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुट जाती थी.
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