समस्तीपुर : जिले में अबतक 43223 दिव्यांजनों का यूडीआईडी कार्ड बना है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में 81876 दिव्यांग चिंहित हुए थे. हालांकि, इस संख्या में अबतक काफी बढ़ोतरी हुई है. फिलवक्त चिंहित दिव्यांगों में से 14860 महिला दिव्यांगों, 28359 पुरुष दिव्यांगों का यूडीआईडी कार्ड बना है. वहीं चार जेंडर का भी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बना है. सदर अस्पताल में दिये आवेदनों में से फिलवक्त 7061 आवेदन लंबित है. इसमें से तीन महीने 1977 आवेदन लंबित है. वहीं 3 से 6 महीने से 920 आवेदन लंबित है. छह माह से अधिक से 4164 आवेदन लंबित है.यूडीआईडी कार्ड प्रमाणित दिव्यांगों को दिया जाता है. इस कार्ड से दिव्यांगों को कई लाभ मिलते हैं. इस कार्ड की सबसे बड़ी विशेषता है कि दिव्यांग देश के किसी भी कोने में राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ ले सकते हैं. यूआईडी कार्ड के बाद दिव्यांगों को कहीं भी ज्यादा दस्तावेज को ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कार्ड से ही जरूरी जानकारी मिल जाती है. यह एकल दस्तावेज के रूप में काम करता है. दिव्यांगता प्रमाण पत्र वाले लाभार्थियों को रेल किराये में छूट, आयकर में छूट, दिव्यांगता पेंशन, सरकारी नौकरियों में आरक्षण, सहायक उपकरण, दिव्यांग छात्रों के लिये छात्रवृति में सहायक है. दिव्यांगता प्रमाण पत्र दृष्टिहीन, अल्प दृष्टि, निम्न दृष्टि, कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति, श्रवण दोष, चलन संबंधी दिव्यांगता, बौनापन, बौद्धिक दिव्यांगता, मानसिक बीमारी, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस ऑर्डर, सेरिब्रल पाल्सी, मस्कुलर हिस्ट्रॉपी, पुरानी तंत्रिका संबंधी स्थितियां, स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलीटी, मल्टी स्क्लेरोसिस, वाक एवं भाषा दिव्यांगता, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, सिकेल सेल रोग, बहु विकलांगता, तेजाब हमले से प्रभावित व्यक्ति तथा पार्किंसंस डिजीज वाले को यूडीआईडी कार्ड दिया जाता है. दिव्यांगता प्रमाण पत्र में दिव्यांगता के प्रकार के अलावा उसकी गंभीरता का वर्णन रहता है. इसके प्रतिशत का बहुत अधिक महत्व है. कम प्रतिशत वाले अपेक्षाकृत कम लाभ लाभ मिलते हैं. यूडीआईडी में यह भी अंकित रहता है कि दिव्यांगता स्थायी है या अस्थायी है.
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