Mata Janki Mandir: इस खास चमचमाती पत्थर से होगा मां जानकी मंदिर का निर्माण, जानिए पुनौराधाम के लिए क्यों चुना गया…

Mata Janki Mandir: सीतामढ़ी के पुनौराधाम में माता जानकी मंदिर का निर्माण होने वाला है. इसके निर्माण में खास लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा. यह खास पत्थर मां जानकी मंदिर की भव्यता को आकार देगा. वहीं, मंदिर के लिए इसी पत्थर को क्यों चुना गया, चलिए जानते हैं...

By Preeti Dayal | August 1, 2025 2:47 PM
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Mata Janki Mandir: सीतामढ़ी के पुनौराधाम में माता जानकी मंदिर के निर्माण को लेकर 8 अगस्त को आधारशिला रखी जाएगी. माता जानकी मंदिर का निर्माण खास ‘रेड सैंडस्टोन’ यानी कि लाल बलुआ पत्थर से किया जाएगा. यह पत्थर बेहद ही खास माना जाता है. पत्थर की चमक और महीन बनावट, इसे खास बनाती है. इसके साथ ही यह अपनी मजबूती के लिए भी प्रसिद्ध है.

लाल बलुआ पत्थर का होगा इस्तेमाल

जानकारी के मुताबिक, लाल बलुआ पत्थर राजस्थान में पाया जाता है. देश में जहां कहीं भी भव्य मंदिर का निर्माण होता है तो सबसे पहले इसी पत्थर की चर्चा होती है. ऐसे में जब भव्य माता जानकी मंदिर का निर्माण होना है तो, इसमें भी इसी पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा. मंदिर की खूबसूरती को ध्यान में रखते हुए लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा. खूबसूरती के साथ-साथ इसकी एकरूपता, मजबूती और चमक सालों तक कायम रहेगी.

पत्थर की ये है खासियत…

पत्थर की खासियत यह भी बताई जाती है कि, लाल बलुआ पत्थर को राजस्थान के करौली जिले के वंशी पहाड़पुर क्षेत्र से निकाला जाता है. बहुत कम लोगों को इस पत्‍थर की खासियत की जानकारी होगी. दरअसल, पत्थर प्राकृतिक मजबूत, टिकाऊ, महीन बनावट, सुंदर कलाकारी के लिए अनुकूल, समय के साथ निखरता प्राकृतिक रंग और समय के प्रभाव से बेअसर होने के कारण यह पत्थर खास माना जाता है.

जानकी मंदिर के लिए इस वजह से चुना गया रेड सैंडस्टोन…

इधर, इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि वे चाहते थे कि मंदिर की हर दीवार एक जैसी दिखे, उसकी आभा दूर से ही श्रद्धा भाव जगाए और वह सौ साल बाद भी वैसी ही चमकती रहे. इस वजह से वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर का चयन किया गया जो भारत में सबसे उपयुक्त है.

8 अगस्त को रखी जाएगी आधारशिला

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 8 अगस्त को मंदिर की नींव रखेंगे. देश के 11 पवित्र नदियों के जल से मंदिर की नींव रखी जाएगी. इसके साथ ही 6 अगस्त से लेकर 8 अगस्त तक भव्य कार्यक्रम भी होगा. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे. वैदिक मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन में शामिल होकर वातावरण को और भी आध्यात्मिक बनाएंगे.

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