रून्नीसैदपुर. बाढ़ की आशंका से भयभीत प्रखंड क्षेत्र के लोग दहशत में हैं. पिछले वर्ष बागमती नदी में आयी बाढ़ की त्रासदी लोग नहीं भूले है. वर्ष 29 अगस्त 2024 को बागमती नदी में आयी भीषण उफान के कारण तटबंध के ध्वस्त हुये बाएं और दाएं तटबंध की मरम्मति का काम पूरा हो चुका है. हालांकि तटबंध के अंदर बसे भरथी, तिलकताजपुर के कुछ भाग, शिवनगर, मधौल, बघौनी, रक्सिया व इब्राहिमपुर के लोगों की नियति ही प्रतिवर्ष बाढ़ का डंस झेलना बन कर रह चुका है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि वर्ष 1975 में सरकार के द्वारा तटबंध निर्माण का फैसला लिया गया था. करीब पांच दशक गुजर चुके हैं, किंतु तिलकताजपुर पंचायत के भरथी गांव के लोगों को आज तक पुनर्वासित नहीं किया जा सका है. तटबंध के अंदर बसे यहां के लोग प्रतिवर्ष करीब चार लाख क्यूसेक पानी का दबाब झेलने को मजबूर हैं. तटबंध में चूहों का बसेरा तटबंध की सुरक्षा के लिये एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. बागमती प्रमंडल व प्रशासन की ओर से बाढ़ पूर्व तैयारी जारी है. तटबंधों की सफाई करायी जा रही है, वहीं, रेट होल को चिन्हित कर चिन्हित रेट होल को बंद कर तटबंध को सुरक्षित करने की प्रक्रिया भी लगातार जारी है. हालांकि तटबंध के स्लोप में अवस्थित कुछ पुराने वृक्ष की जड़ें भी तटबंध के लिये खतरा बन चुकी हैं. तिलकताजपुर के समीप कुछ ऐसे भी पुराने वृक्ष बताये गये हैं, जिनकी जड़ें तटबंध के एक सिरे से बीचोबीच गुजरते हुये दूसरे सिरे तक फैली हुई है. इससे पानी का रिसाव होने व तटबंध के क्षतिग्रस्त होने का खतरा है.
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