कोल कंपनी के लिए सर्वे करने पहुंची टीम को शिकारीपाड़ा के ग्रामीणों ने 5 घंटे तक रोका

कोल कंपनी के लिए सर्वे करने दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में पहुंची टीम को ग्रामीणों ने 5 घंटे तक बंधक बनाकर रखा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2024 12:46 PM
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कोल कंपनी के लिए सर्वे करने दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में पहुंची टीम को ग्रामीणों ने 5 घंटे तक बंधक बनाकर रखा. ये सभी लोग कोल ब्लॉक वाले क्षेत्र गंधर्वपुर एवं पंचवाहिनी में सोमवार (19 फरवरी) को कोल कंपनी की तरफ से सर्वे करने पहुंचे थे.

कोल कंपनी के कर्मचारियों से लिया लिखित आश्वासन

सर्वे करने आयी टीम ने जब यह लिखकर दिया कि वे बगैर ग्राम सभा की अनुमति के गांव में प्रवेश नहीं करेंगे, तब सर्वे टीम के सदस्यों को छोड़ा गया. हालांकि, उन लोगों के साथ ग्रामीणों ने किसी प्रकार की कोई ज्यादती नहीं की. न ही सर्वे की सामग्री को किसी ने नुकसान पहुंचाया.

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रोड, घर, मंदिर, स्कूल का सर्वे करने आए थे कंपनी के कर्मचारी

सर्वे करने गयी फ्लावर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सदस्य उज्जवल कुमार सिंह द्वारा लिखित दिये गये कागजात के अनुसार, वे लोग कोल कंपनी के निर्देश पर सोमवार को गंधर्वपुर और पंचवाहिनी में रोड, घर, मंदिर, स्कूल आदि का सर्वे करने पहुंचे थे.

काम शुरू करते ही ग्राम प्रधान के नेतृत्व में पहुंची ग्रामीणों की भीड़

सामान निकालकर काम करना शुरू ही किया था कि ग्राम प्रधान के नेतृत्व में काफी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंच गए. ग्रामीणों ने उनसे ग्राम सभा की अनुमति के बगैर काम करने के संबंध में पूछा. उन्होंने कहा कि वे कंपनी के आदेश से सर्वे करने के लिए आए हैं, तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए. भीड़ ने कंपनी के लोगों को घेर लिया. करीब पांच घंटे तक ग्रामीणों ने इन्हें घेरे रखा.

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कोल कंपनी के कर्मचारियों ने दिया लिखित आश्वासन

अंत में जब 3:30 बजे इन लोगों ने लिखित दिया कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर यहां कार्य करने के लिए वे लोग नहीं आए‍ंगे, तब भीड़ ने उन्हें छोड़ दिया. टीम में उज्ज्वल कुमार सिंह के साथ असीम बाग, मंगलदीप माझी समेत कुल 5 लोग थे. उल्लेखनीय है कि शिकारीपाड़ा में विभिन्न कंपनियों को कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है.

कोयला खनन का विरोध कर रहे हैं शिकारीपाड़ा के ग्रामीण

ग्रामीण इन कोयला खदानों को शुरू किए जाने का जबरदस्त तरीके से विरोध कर रहे हैं. लोगों ने न केवल रास्ते को बंद कर दिया है, बल्कि बगैर ग्राम सभा की अनुमति के गांव में प्रवेश वर्जित से संबंधित बोर्ड भी लगा दिया गया है.

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