दो लोगों की हत्या से जुड़ा है मामला
यह मामला एक नवंबर 1984 को सरस्वती विहार इलाके का है. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि उस दिन भीड़ ने घर में घुसकर जसवंत सिंह और उनके बेटे की हत्या कर दी थी, सज्जन कुमार पर भीड़ की अगुवाई करने का आरोप लगा था. इस मामले में 16 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय किए थे और उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला सही पाया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, घातक हथियारों से लैस एक बड़ी भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी की थी और सिखों की संपत्तियों को नष्ट किया था.
पुलिस ने बंद कर दिया था केस, SIT ने की जांच
पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार की सजा पर वकील एचएस फुल्का ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश जस्टिस कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार को 1984 में दो सिखों की हत्या के लिए दोषी करार दिया है. उन्होंने बताया कि मामले को पुलिस ने बंद कर दिया था. 2015 में केंद्र सरकार की ओर से एसआईटी नियुक्त किया गया. फिर से केस को खोला गया. 18 फरवरी को अदालत सजा सुनाएगी.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने जताई न्याय की उम्मीद
सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि 40 साल पहले सिख नरसंहार का नेतृत्व करने वाले सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया है, उन्हें अब सजा सुनाई जाएगी. उन्होंने कहा- ‘मैं इसके लिए अदालत को धन्यवाद देता हूं. मैं सत्ता में आने के बाद एसआईटी बनाने के लिए पीएम मोदी और एचएम अमित शाह को धन्यवाद देता हूं. यह बंद मामलों की दोबारा जांच का नतीजा है. हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा.
जसवंत सिंह की पत्नी ने किया था मामला दर्ज
इस मामले में जसवंत सिंह की पत्नी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार भीड़ ने घर में घुसकर सिंह और उनके बेटे की हत्या कर दी थी और सामान लूटकर घर को आग के हवाले कर दिया था. कुमार पर मुकदमा चलाते हुए अदालत ने कहा था कि “प्रथम दृष्टया यह मानने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि वह न केवल एक भागीदार थे, बल्कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व भी किया था.